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लगातार 15 साल तक शिला दीक्षित ने किया दिल्ली पर एक छत्र राज

आज होगा शिला दीक्षित का अंतिम संस्कार

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का निधन कल लम्बी बीमारी के बाद हो गया जिनको कि शन‍िवार सुबह ही अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। शाम 3.15 मिनट पर उन्‍हें कार्ड‍ियक अरेस्‍ट के कारण वेंटीलेटर पर रखा गया था। 3.55 बजे उन्‍होंने अंतिम सांस ली। देश की प्रमुख राजनितिक हस्तिया अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रही है। वर्तमान में वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष थी। हाल ही में शीला दीक्षित एआईसीसी में राष्ट्रीय राजधानी मामलों के प्रभारी पीसी चाको के साथ चल रहे मतभेदों के चलते भी सुर्खियों में आई थी।वही हम आपको बता दे कि शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को हुआ था। वह लगातार 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। शीला दीक्षित लोकसभा चुनाव 2019 में दिल्ली के उत्तर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि इस सीट पर बीजेपी नेता मनोज तिवारी से चुनाव हार गई थी शीला दीक्षित के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रहीं। इस दौरान वह संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहने के साथ लोकसभा की समितियों में भी शामिल रहीं। वे राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं।वे 1998 से 2013 तक लगातार 3 बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं इसके बाद वह 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं। शीला दीक्षित के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनका जन्म पंजाब के कपूरथला में हुआ था. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी। उनकी शादी यूपी के उन्नाव के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुई थी. बता दें कि विनोद दीक्षित बंगाल के पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के बड़े नेता स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे। शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के पूर्व सांसद रहे है। 1998 में ही लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पूर्वी दिल्ली से चुनावी रण में उतरीं पर हार गईं थीं। लेकिन फिर उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही।

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