कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एंव अध्यक्ष डॉ. दयानन्द ने बताया
झुंझुनूं, दूध रोजमर्रा की आवश्यकता है। शहरों तथा कस्बों में दूध की आपूर्ति अधिकतर गॉवों से होती है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एंव अध्यक्ष डॉ. दयानन्द ने बताया कि दूध उत्पादक, वितरक एंव ग्राहकों को इस महामारी के समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिऎ। देश के कई हिस्सों में सेवा प्रदाताओं से इस वायरस का फैलाव हो रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. आर.एस. राठौड. ने बताया कि दूधिया को दूध वितरण करते समय हाथ में दस्ताने, मुॅह पर मास्क तथा सिर ढका होना चाहिए। कमीज पूरी आस्तीन की पहननी चाहिए तथा दूध देते समय ग्राहक से 2 गज की दूरी रखनी चाहिए। दूध की टंकी में हाथ न देवें तथा नापने के लीटर के बडी डंडी लगाकर काम में लेना चाहिए। यदि संभव हो तो ग्राहकों से उचित क्षमता की कैतली लेकर उसी से दूध की आपूर्ति करें। दूधिया को डिस्पोजल टिशु पेपर अपनी जेब में रखना चाहिए ताकि दूध आपूर्ति के समय दरवाजे की घंटी, दरवाजे का हैंडल हाथ में टिशु पेपर लेकर खोले तथा काम मे लिये टिशु पेपर दूसरी जेब में डालकर रखें व घर जाकर नष्ट कर देना चाहिए। हाथों को सैनिटाइज करने के लिए साथ मेें छोटा सैनिटाइजर रखें ताकि सप्लाई के समय बीच – बीच में हाथ सैनिटाइज कर लेवें। डॉ. रशीद खान ने बताया कि दूधिया दूध आपूर्ति के बाद बाजार में न घूमे तथा सीधा घर आकर सबसे पहले जूते बाहर रखें। इसके बाद गर्म पानी से स्नान करें तथा कपडे धोयें। दूध के बर्तनों को सोडियम हाइपोक्लोराइट से धोकर उबलते गर्म पानी से निकाले तथा धूप में सुखा देवे। ग्राहक से लाये रूपयों को सैनिटाइज करने के बाद ही घर में रखे। जहॉ दूध की बिक्री काउन्टर पर की जाती है, वहॉ ग्राहको की भीड. न होने दे, बिना मास्क के ग्राहक को दूध न देवे तथा पैसे अलग डिब्बे में रखकर सैनिटाइज करने के बाद ही जेब में डाले या घर में रखें। दूध आपूर्ति में लिये गये साधन मोटर साईकिल, साईकिल, टैम्पू को भी सैनिटाईज करना चाहिए। स्वच्छ दूघ की सही तरीके से आपूर्ति से दूधिये के साथ – साथ ग्राहक भी सुरक्षित रहेगा।