मठ के हस्ती द्वार से हौदा सहित हाथी पर बैठकर निकले थे ठाकुर उदयसिंह
प्राचीन शिव मठ में शिवरात्रि पर होगे धार्मिक कार्यक्रम
कलश यात्रा व भजन संध्या आज, प्रसादी वितरण
दांतारामगढ़ [प्रदीप सैनी ] दांता नगरपालिका के प्राचीन श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा शिव मठ में दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमें शनिवार को सुबह सवा 10 बजे से श्री खेड़ापति बालाजी मंदिर से शिव मठ तक कलश यात्रा निकाली जाएगी एवं रात्रि सवा 10 बजे से भजन संध्या का आयोजन होगा। रविवार को शाम सवा 4 बजे से प्रसादी वितरण किया जाएगा। महोत्सव ब्रह्मलीन संत गंगापुरी महाराज सेवा मठ दांता, जयरामपुरी बाबा आश्रम डूंगरी कलां के महंत हीरापुरी महाराज, उदयपुरिया मठ के महंत नरसिंहपुरी महाराज, भैसावा मठ के महंत भुवनेश्वरपुरी महाराज, प्राचीन शिव मठ के महंत नर्मदापुरी महाराज व जीणमाता बटुक भैरव मंदिर के महंत श्यामसुंदरपुरी महाराज का पावन सानिध्य रहेगा।
मठ के हस्ती द्वार से हौदा सहित हाथी पर बैठकर निकले थे उदयसिंह
तत्कालीन राज परिवार द्वारा निर्मित शिव मन्दिर दांता कस्बे की बसावट के समय से ही साधुवेला व शिव परिवार के साथ हस्ती द्वार सहित उदयसिंह की छतरियों के पास स्थित हैं। यह प्राचीन मन्दिर जन-जन की आस्था का प्रतीक है व शिव मठ के नाम से प्रसिद्ध हैं। मन्दिर में स्थित साधुवेला में बड़े-बड़े महात्माओं ने तप करके इस मठ को सिद्ध पीठ बनाया हैं। प्रत्येक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि को पूजा करने वालों की भगवान शिव मनोकामना पूर्ण करते है।
शिव मठ के मुख्य द्वार (हस्ती प्रवेश द्वार) के बारे में ठाकुर करणसिंह व श्रीरामदास स्वामी ने बताया कि तत्कालीन ठाकुर उदयसिंह हाथी पर बैठकर शिव मठ के साधु महाराज के चमत्कार को देखने के लिए मठ के मुख्य द्वार के पास पहुंचे तो अंदर से साधु महाराज ने कहा कि ठाकुर साहब मठ में पधारो। ठाकुर उदयसिंह ने कहा मैं तो हाथी पर बैठकर ही अंदर आऊंगा। तब साधु महाराज ने हाथी का कान पकड़कर मठ के छोटे से दरवाजे से हाथी को अंदर खींचा तो हाथी दरवाजे के अंदर ठाकुर उदयसिंह सहित अंदर आ गया था। मठ में पूजा अर्चना करने के बाद ठाकुर उदयसिंह ने हाथी को बाहर निकालने के लिए साधु महाराज को कहा तो उन्होंने कहा मैने तो आपने कहा वैसे अंदर प्रवेश करवा दिया अब आप अपने हिसाब से बाहर निकलो फिर बाग वाली दीवार को तोड़ कर हाथी को बाहर निकाला था। इस लिए मठ के दरवाजे को हाथी दरवाजा या हस्ती द्वार कहते हैंं। यह चमत्कारी द्वार मन्दिर के निर्माण के समय से ही निर्मित है व इसके अन्दर से हाथी भी निकल गया था। शिव मठ में महाशिवरात्रि को भव्य शिव परिवार की यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकलती थी। मुख्य सन्यासी बाबा शिव परिवार के साथ नगर भ्रमण करते थे। महाशिवरात्रि को ओलिया बक्श, महंत बाबाजी व गुलाबदास, नारायण राणा द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी जाती थी। गाजर के हलवे को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता था।