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मकर संक्रांति के पावन पर्व के ऊपर जहां दान पुन करके लोग पुण्य कमाते हैं वहीं इस त्यौहार के ऊपर पतंगबाजी का भी आनंद लोग खुले दिल से लेते हैं चाहे बूढ़ा हो चाहे जवान चाहे बच्चा पतंगबाजी का हर कोई आनंद लेता है और इस बार अगर हम बात करें पतंगों की तो बाजारों में राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्र छपे हुए पतंग और सलमान खान व कई फिल्म स्टारों के छपे हुए चित्र, हैप्पी न्यू ईयर जैसे लिखे हुए पतंगों की बाजारों में भारी मांग है। पतंगबाज एसी पतंगों को उड़ा कर अपने आप को एक पार्टी का कार्यकर्ता भी बताते हैं तो अपने आप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी जैसे चित्रों से छपी पतंग उड़ा कर अपने आपको बड़ा पतंगबाज साबित करने में भी लगे रहते हैं। मगर जब से बाजारों में प्लास्टिक माँझे की बिक्री शुरू हुई जब से बाजारों में प्लास्टिक मांझा बिकने के लिए आया तभी से इस पर्व के ऊपर भी एक दाग सा लगता नजर आ रहा है जहां लोग पतंगबाजी करके और दान पुन करके इस त्यौहार का आनंद लेते हैं वहीं अब लोगों की धारणा बदल चुकी है लोग बाजारों में निकलने से भी कतराने लगे हैं और वही हवा में विचरण करने वाले उड़ते हुए परिंदे भी अपनी जान का खतरा महसूस कर रहे हैं और हो भी क्यों नहीं यह प्लास्टिक मांझा हवा में उड़ते परिंदों को ही नहीं बल्कि राह चलते राहगीरों की भी कई बार गर्दन काट चूका है। कल फतेहपुर शेखावाटी में राह चलते एक मजदूर का पैर कट गया। जिसके कारण उस परिवार पर भूखे मरने की नौबत आ गई है। एक तरफ तो दान पुण्य दूसरी तरफ इस मांझे से पतंगबाजी कर कितने मासूम परिंदो को मौत के घाट उतार देते है तो अनजाने में कितने परिंदो को विकलांग बना देते है। कई बार लोगों के हाथ तक कट चुके हैं बावजूद इसके भी सरकार प्लास्टिक माँझे पर रोक की बात तो करती है मगर इनकी फैक्ट्रियों के ऊपर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है और इसी के चलते हाथ से बनने वाली डोरो के कारोबार भी काफी हद तक बंद हो चुके हैं प्लास्टिक के माँझे की बिक्री रोकने के लिए कई बार जिला प्रशासन कार्यवाही भी करता है मगर दुकानों पर प्लास्टिक मांझा नहीं बिकता बल्कि लोग चोरी छुपे घरों में गलियों में छुपा कर इस मांजे की बिक्री करते हैं। जिस पर कार्रवाई करने में जिला प्रशासन भी हर बार नाकाम साबित हुआ है। इस बार की मकर सक्रांति पर भी जिला प्रशासन ने एकाध बार कार्रवाई करके इतिश्री कर ली है। मगर छतों पर हवाओं में वही प्लास्टिक माँझे से पतंगबाज पतंग उड़ा कर एक नई घटना को न्यौता देते हैं वही जो पुराने डोर पतंग के जो दुकानदार है जो लगभग 50 50 सालों से व्यापार कर रहे हैं उनमें भी मायूसी है और वह भी अपने व्यापार को बंद करने की ठाने हुए हैं।