दांतारामगढ़ का जंचा बच्चा स्वस्थ उपचार के लिए जयपुर रैफर
दांतारामगढ़(लिखासिंह सैनी) कोरोना वायरस की महामारी के दौरान आमजन को कोरोना से बचाने के साथ चिकित्सा विभाग मातृ एवं शिशु सेवाएं भी मुश्तैदी के साथ आमजन को उपलब्ध करवा रहा है। ऐसे में किसी रोगी की जान पर बन आती है तो चिकित्सक उसको बचाने के लिए भगवान से भी भीड़ जाते हैं। ऐसा ही उदाहरण शनिवार को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक व नर्सिंग कर्मियों ने पेश किया। यहां के चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों ने एक नवप्रसूता महिला को मौत से मुंह से बाहर निकालकर बचा लिया। एमसीएच के प्रभारी अधिकारी डॉ बीएल राड से बताया कि दांतारामगढ क्षेत्र के सुलियावास गांव की 30 वर्षीय गर्भवती महिला का प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दांता में हुआ। वहां पर उसका अत्यधिक रक्तस्राव होने पर दांता सीएचसी से पीपीएच कर डॉ भारती अपने साथ लेकर एमसीएच आई। यहां पर डॉ एनडी मिश्रा ने महिला के स्वास्थ्य की जांच की। महिला की हालत बेहद गंभीर थी। समय नहीं गंवाते हुए डॉ मिश्रा ने महिला को अस्पताल में भर्ती किया उसका उपचार शुरू किया। जब महिला अस्पताल में आई उसका ब्लड प्रेशर बेहद कम था और नब्ज का पता भी नहीं चल पा रहा था। डॉ अश्वनी डॉ के जोशी ने महिला को बचाने के लिए लेबर रूम के स्टॉफ पवन सोनी, सरोज, छेटी देवी, सरोज महरिया व अन्य को बुलाया और सभी लोग एकजुट होकर महिला को बचाने संबंधी चिकित्सा में जुट गए। डॉ अश्वनी के निर्देशानुसार महिला को पेशाब की नली लगाई गई और उसका रक्त का सैम्पल लेकर उपचार शुरू किया गया। ममता का रक्त ग्रप नगेटिव ए पाया गया, जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने पर डॉ एनडी मिश्रा ने उच्चाधिकारियों से वार्ता कर महिला के लिए रक्त उपलब्ध करवाया और महिला को रक्त चढाया गया। तीन यूनिट रक्त चढाने के बाद महिला के होश में आने पर बच्चे को दूध पिलाया। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों के अनुभव, ज्ञान और स्वास्थ्य कर्मियों की कडी मेहनत से महिला को बचा लिया गया। वहीं दांता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ आरके जांगिड़ ने भी महिला की गंभीर हालत को देखते हुए शीघ्र ही सीकर के एमसीएच सेंटर में भेजकर अहम भूमिका निभाई। फिलहाल महिला खतरे से बाहर है और उसे उपचार के लिए जयपुर रैफर किया गया है।