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मनीषा सैनी राजस्थानी गानों को दे रही है नई पहचान

दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] “मेरा झुमका गिरा रे जैपर के बाज़ार में” स्वर कोकिला मनीषा सैंनी द्वारा गाया यह दिलकश गीत फैन्स को खूब भा रहा है ।मनीषा गुहाला निवासी बलदेव सैनी की बेटी हैं। मनीषा के पिता भी अपनी बेटी को संगीत में बहुत सपोर्ट करते हैं। गीत संगीत की कई प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। मनीषा ने एसके कन्या महाविद्यालय सीकर से एमए किया हैं। साथ ही लखनऊ यूनिवर्सिटी से इंडियन क्लासिक म्यूजिक में भी संगीत में एमए किया हैं। विशारद की डिग्री हासिल कर कर चुकी है। जी म्यूजिक कम्पनी के लिए भी मनीषा गाना गा चुकी हैं। मनीषा सैनी का स्वयं का यूट्यूब चैनल भी है । ‘पड़ोसन‌’ शीर्षक गीत से मनीषा को प्रसिद्धि मिली। माली समाज द्वारा आयोजित सभा में विरोध के बावजूद मनीषा सैनी ने पूरा गीत गाया । वहीं से मनीषा की प्रसिद्धि को चार चांद लग गए। कभी-कभी विरोध भी व्यक्ति को प्रसिद्धि दिला देता है । मनीषा के साथ भी ऐसा ही हुआ । मनीषा रातों -रात स्टार बन गई ‌, यद्यपि मनीषा पिछले दस सालों से गा रही थी । मनीषा हालांकि राजस्थानी ,पंजाबी, हरियाणवी,भोजपुरी व हिन्दी भाषा में गाती है मगर पहचान राजस्थानी गायकी से मिली। मनीषा ने सिद्ध कर दिया कि प्रसिद्ध के लिए बॉलीवुड के गाने गाए जाए यह जरूरी नहीं। मौलिकता सहज जीवन का पर्याय है । मौलिकता सामान्य जन को अधिक प्रभावित करती है ।

माली समाज के कार्यक्रम में हुआ विरोध टर्निंग पॉइंट था । फिर मनीषा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सोशल मीडिया पर आज मनीषा के साढ़े छः लाख फोलोवर्स हो गए हैं । मनीषा ने राजस्थानी गीतों को नवीन चाल में ढालने का काम किया है ,एवं राजस्थानी गानों को नई पहचान दे रही है। शुरुआत में मनीषा सैनी ने सामाजिक वर्जनाओं का सामना करना पड़ा । सामाजिक ताने के बावजूद वह रुकी नहीं। यह कारण है कि मनीषा सैनी को राजस्थान में सबसे ज्यादा सुना जाता है । ग्राम से निकलकर राष्ट्रीय पहचान बनाने वाली मनीषा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में सबसे ज्यादा पारिश्रमिक लेने वाली राजस्थानी गायिका हैं । मनीषा शिक्षा से वंचित विद्यार्थियों के लिए बडा़ प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती है । उनका मानना है कि धन के अभाव में कोई विद्यार्थी शिक्षा से वंचित नहीं रहें

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