साम्प्रदायिकता की मिशाल गणगौर
सुजानगढ़, [सुभाष प्रजापत ] शहर में लुहारागाडा में मोयल मुस्लिम परिवार द्वारा लगभग 200 वर्षो से गणगौर की सवारी निकाली जाती है, वही इस परिवार के सदस्य गौर व ईशर की सम्पूर्ण देखभाल भी करते हैं।बाबा अखण्डानाथ समिति के अध्यक्ष खड़गसिंह बांठिया ने बताया कि मोयल मुस्लिम परिवार द्वारा इस परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि शुरू में लाभु खा मोयल गौर व ईशर की देखभाल करते थे,आज इनकी चौथी पीढ़ी इस कार्य मे जुटी हुई है, वर्तमान में भंवरू खा व इनके परिवार के सदस्य हिन्दू रीति रिवाज के साथ गौर व ईशर की पूजा अर्चना करते हैं व घर के बाहर गौर व ईशर की प्रतिमा रखते हैं जहां पर विवाहित महिलाओं व कन्याएं गौर की पूजा करती है व अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना करती है,वही कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के साथ पूजा करती हैं।आपको बता दें खाश बात यह है कि यहां पर गंगा जमुनी तहजीब का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है,क्योंकि गणगौर हिंदुओ का प्रमुख त्यौहार है, जिसको दोनो समुदाय के लोग मिलकर मनाते हैं।