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सरपंच, सचिव, तकनीकी सहायक से
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झुंझुनू, पंचायती राज संस्थाओं में पदस्थापित जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी नियमों को ताक पर रखकर करवाए गए कार्यो की अब वसूली की जाएगी। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने बताया कि केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा अनुदान की राशि ग्राम पंचायत तथा पंचायत समिति के खातों में सीधे भेजने तथा ग्राम पंचायत के सरपंच को 5 लाख तक की स्वीकृति जारी करने की शक्तियों के कारण सरपंच व प्रधानों ने अपने चहेते लोगों की निजी भूमि पर सड़क, ट्यूबेल ,टंकी, हैंडपंप, टांका बनाने के लिए स्वीकृति जारी कर दी तथा अपने स्तर पर ही भुगतान कर दिया। ग्राम पंचायतों तथा पंचायत समिति में नियुक्त ग्राम सेवकों व तकनीकी सहायकों पर राजनीतिक दबाव बनाकर एवं तबादले का डर दिखाकर भुगतान पर हस्ताक्षर करवा लिए जाने के सैकड़ों प्रकरण ध्यान में आए हैं। जाट ने बताया कि राज्य सरकार ने नियम बना रखे हैं यदि सार्वजनिक उपयोग के लिए कोई व्यक्ति अपनी निजी भूमि सरकार या पंचायत के पक्ष में 100 के स्टांप पेपर पर समर्पण करता है तो ऎसे समर्पण पत्र का पंजीयन होगा तथा तहसीलदार द्वारा पंचायत के पक्ष में नामांतरण खोलने के बाद ही ऎसे कार्य करवाए जा सकते हैं। जिला परिषद के ध्यान में ऎसे सैकड़ों प्रकरण आए हैं जिनमें सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए निर्माण कार्य करवाए गए हैं। इस प्रकार के अनुपयोगी कार्यो की वसूली संबंधित सरपंच, ग्राम सेवक (ग्राम विकास अधिकारी) एवं तकनीकी सहायकों से किए जाने के लिए जिला परिषद द्वारा जांच करवाई जा रही है। करीब 300 प्रकरणों को चिन्हित किया गया है जिन पर जांच पूरी होने के बाद वसूली से संबंधित कार्यवाही की जाएगी।