जिला परिषद द्वारा
झुंझुनूं ,महात्मा गांधी नरेगा को केवल मिट्टी इधर उधर कर सरकारी खजाने से रोजगार के नाम पर पैसे लेने वाली योजना मानने वाले लोग ही योजना के सच्चे उद्देश्य को फैल कर रहे है। जिला परिषद द्वारा चालू वर्ष के लिये तैयार कार्ययोजना में 75 प्रतिशत से अधिक राशि जलसंग्रहण तथा वृक्षारोपण कार्यों पर खर्च करने का उद्देश्य रखा गया है, तथा लोगों को अपने खेतों में कुण्ड, टांका बनाकर वृक्षारोपण करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। निजी लाभ के इन कामों में केटलशेड तथा खेत समतलीकरण भी शामिल होने के कारण लोगों की प्रवृत्ति खेत की मिट्टी मशीनों से इधर उधर करने तथा केटलशेड के नाम पर अस्थायी ढांचा खड़ा कर पैसे हड़पने की रही है। गत एक महीने के दौरान निजी लाभ के कामों के लिये 3 लाख तक राशि के कामों के प्रस्ताव मांगने पर तीन चौथाई लोगों ने केवल समतलीकरण तथा पशुशेड की मांग की है। अधिकतर काश्तकार पक्की कुण्ड निर्माण कर अगले 3 साल तक पौधों के रख रखाव के काम में रूचि नही ले रहे है। इधर जिला परिषद ने कुण्ड तथा वृक्षारोपण के कार्य को शामिल किये बिना अन्य निजी कार्य स्वीकृत करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में अब तक प्राप्त आठ हजार प्रस्तावों में से कुण्ड सहित समतलीकरण तथा वृक्षारोपण के 1800 कार्य ही स्वीकृत किये गये है। जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट ने बताया कि अधिकतर लोग सरकारी योजनाओं से तत्काल पैसा कमाने का उद्देश्य रखने के कारण दीर्घ समय तक काम कर उसके लाभों के इंतजार नही करते। केवल केटलशेड या समतलीकरण के कार्यों में स्थाई परिसंपत्ति सृजित होने के बजाय फर्जी तरीके से मस्टररोल भरकर तत्काल 3 लाख रुपये प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, जबकि कुण्ड बनाकर जल संचय करने तथा पेडों को बड़ा करने में इंतजार करना पड़ता है। जिला परिषद का प्रयास है कि चालू साल में जिले में कम से कम 15 हजार लोग अपने खेतों में जलसंग्रहण ढांचा तैयार कर फलदार पौधे लगावें तथा निर्धारित 3 लाख की सरकार सहायता से आगामी 3 साल तक उन्हें पालकर फल देने योग्य बनावें।