चुरूताजा खबर

कौमी एकता और धार्मिक सहिष्णुता इस देश की आत्मा

चूरू, [सुभाष प्रजापत ] शांति एवं अहिंसा विभाग की ओर से शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित दादाबाड़ी में संपन्न हुए एक दिवसीय संभाग स्तरीय कौमी एकता कार्यक्रम में धर्मगुरुओं और गांधीवादी वक्ताओं ने आपसी भाईचारे और धर्म सहिष्णुता की संस्कृति को देश के लिए वर्तमान समय में सबसे जरूरी और प्रासंगिक बताया। जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शांति एवं अहिंसा विभाग के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया के इस जमाने में युवा तथ्यों का महत्त्व समझें और सांप्रदायिक सौहाद्र्र को बिगाड़ने वाली कोई भी बात सामने आने पर तत्काल फैक्ट चैक कर सही तथ्यों को लोगों तक पहुंचाने का काम करें। गलत तथ्य प्रचारित करने वालों की सूचना भी प्रशासन को प्रेषित करें। वर्तमान में गांधी, नेहरू, सुभाष और भगतसिंह जैसे महापुरुषों और सेनानियों के बारे में झूठी बातें प्रचारित की जाती हैं और देश की आजादी की लड़़ाई को लेकर भी युवाओं को भ्रमित किया जा रहा है, जिसका हमें तथ्यपरक विरोध करना चाहिए। युवाओं के सामने आधा सत्य परोसा जाता है जो झूठ से भी अधिक खतरनाक होता है। उन्होंने कहा कि राज्य में 2500 महात्मा गांधी पुस्तकालय एवं संविधान केंद्र खोले जाएंगे तथा 50 हजार सेवा प्रेरकों की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी युवा यह संकल्प लें कि किसी भी सूरत में राजस्थान में सांप्रदायिक माहौल को बिगड़ने नहीं देंगे और गांधी-नेहरू के सपनों का ऎसा देश बनाएंगे, जिसमें जाति और धर्म के भेद से परे हर व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध हों। उन्होंने दो अक्टूबर को जयपुर में होने वाली अहिंसा रैली में अधिक से अधिक संख्या में शिरकत करने का भी आह्वान किया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. एचआर ईसराण, विशिष्ट अतिथि गांधीवादी विचारक धर्मवीर कटेवा, शहर इमाम पीर अनवार, गायत्री शक्तिपीठ के महंत रामसिंह राठौड़, सीईओ पीआर मीणा, गांधी दर्शन समिति संयोजक रियाजत खान, सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य उम्मेद गोठवाल और मूलचंद ने किया। जिला वक्फ कमेटी के संरक्षक जमील चौहान, विकास मील, सिराज खां जोइया, राजेंद्र कल्ला, किशोर निर्वाण, हेमंत सिहाग आदि ने अतिथियों का सूत की माला और गांधी टोपी से स्वागत किया। अहिंसा प्रकोष्ठ के दयापाल सिंह पूनिया ने आभार जताया।
इस दौरान श्रीगंगानगर से राकेश कुमार, विजय पाल, हनुमानगढ़ से भागीरथमल, सुभाष चंद्र, रावतसर से देवेंद्र, पुष्पा, साहित्यकार डॉ कृष्णा जाखड़, जंगशेर खान पीथीसर, सुबोध मासूम, मुबारिक भाटी, लालचंद सैनी, अब्बास अगवाण, महेश मिश्रा, मनोनीत पार्षद दीपिका सोनी, राजीव बहड़, ओमप्रकाश मेहरा राजगढ़, श्रवण बरोड़ नोहर, सत्यनारायण बाकोलिया, ज्योति सिंह, आरिफ पीथीसर, हरिसिंह सिरसला, लीलाधर जोशी, भरत गौड़, दर्शन मेघवाल, गिरधारीलाल तंवर, अरूण भांभू, योगेंद्र शर्मा, दीपिका सेन सहित बड़ी संख्या में चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों के गांधीवादी कार्यकर्ता, नागरिक मौजूद थे।

चूरू का आपसी भाईचारा करता है आश्वस्त
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला

कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने आपसी सद्भाव को बढाने वाले आयोजनों को बेहद उपयोगी बताया और कहा कि चूरू में आपसी भाईचारे का बहुत अच्छा माहौल है, जो हमेशा एक आश्वस्ति का सूचक रहता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन दर्शन हमेशा शासन-प्रशासन का मार्गदर्शन करता है और अंतिम व्यक्ति तक किसी भी योजना की पहुंच सुनिश्चित करने की सोच गांधी दर्शन से ही आती है। विशिष्ट अतिथि झुंझुनूं के गांधीवादी विचारक धर्मवीर कटेवा ने विभिन्न उदाहरणों से समझाया कि हमें बुरी चीजों से निकलना है, अच्छे की ओर बढना है। ऎसा करेंगे तो हम स्वतः ही आपसी भाईचारे और प्रेम से युक्त समाज की दिशा में काम कर सकेंगे।

जुनून नहीं, सुकून देता है धर्म
विशिष्ट अतिथि शहर इमाम पीर अनवार ने विभिन्न उद्धरणों और उदाहरणों के जरिए बताया कि धर्म जुनून नहीं, सुकून देता है। कोई भी मजहब बुरी बातें नहीं फैलाता है, यह हमेशा हमें ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखने के लिए निरतंर सजग और सक्रिय रहकर प्रयास करने होंगे। सभी धर्मों में प्यार-मुहब्बत को सबसे बड़ी चीज माना गया है।

सबके कल्याण की बात करता है धर्म
विशिष्ट अतिथि गायत्री शक्तिपीठ के महंत रामसिंह राठौड़ ने बताया कि देश, काल और परिस्थिति के अनुसार जो सबके हित की बात हो, वही धर्म है। उन्होंने कहा कि हमें केवल अपने ही नहीं, अपितु प्राणिमात्र के भले की बात सोचनी चाहिए। उन्होंने मानवीय प्रकृति को संस्कृति, प्रकृति और विकृति तीन भागों में बांटकर बताया कि हमारी प्रकृति को संस्कृति की ओर बढ़ना चाहिए, विकृति से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम केवल राजा नहीं थे, केवल राजा होने से उनकी वह प्रतिष्ठा नहीं हो सकती थी, जो आज हैै। उन्होंने दीन-दुखियों और प्राणिमात्र को गले लगाया, जब आज इस रूप में प्रतिष्ठित हैं।

देश ने मिलकर लड़ी हर लड़ाई
मुख्य वक्ता प्रो. एचआर ईसराण ने बादशाह हुमायूं-रानी कर्मावती और महाराणा प्रताप-बादशाह अकबर के सेनापतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय इतिहास इस बात का गवाह है कि सांप्रदायिक सद्भा, कौमी एकता, अनेकता में एकता, विविधता में एकता और धार्मिक सहिष्णुता इस देश की आत्मा है। चाहे 1857 की क्रांति हो, चाहे 1947 का स्वाधीनता संग्राम-हिंदू और मुसलमानों ने कंधे से कंधा मिलाकर ये लड़ाइयां लड़ीं। आजादी की लड़ाई में गांधी-नेहरू समेत सभी नेताओं ने कौमी एकता को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया। ईसराण ने कहा कि हमें जातिवाद और धर्मांधता जैसी चुनौतियों से लड़ने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने जो आजादी और प्रगतिशील सोच हमें दी है, उसे और आगे बढाना है।

गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास
विशिष्ट अतिथि सीईओ पीआर मीणा ने कहा कि राज्य सरकार का यह महत्त्वपूर्ण प्रयास है कि गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने की दिशा में युवा कार्यकर्ताओं को अपना योगदान देना चाहिए।

मिसाल है चूरू का भाईचारा
महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के संयोजक रियाजत खान ने अतिथियों का स्वागत करते चूरू के सांप्रदायिक सौहार्द्र और पारस्परिक भाईचारे को मिसाल बताया और कहा कि हम सभी को गांधी-नेहरू के बताए रास्ते पर चलकर भाईचारे से भरपूर विकसित और सजग राष्ट्र की दिशा में काम करना होाग। सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय ने कहा कि कोई भी मजहब हमें एक-दूसरे से बैर रखना नहीं सिखाता है। यदि कोई व्यक्ति धर्म का उपयोग लोगों को एक दूसरे से दूर करने और बांटने में करता है तो फिर हमें सतर्क रहने की जरूरत है।

मिटे मानव-मानव के बीच की खाई
समापन सत्र में प्रो. सरोज हारित ने विभिन्न उद्धरणों के जरिए गांधी द्वारा प्रतिपादित कौमी एकता, सामाजिक एवं सांप्रदायिक सद्भाव पर विचार रखे और बताया कि जब तक मानव-मानव के बीच की खाई को मिटाकर ही हम गांधी दर्शन की सार्थकता सिद्ध कर सकते हैं। प्रो. दिनेश चारण ने गांधी दर्शन की प्रासंगिकता और वर्तमान समाज पर चर्चा करते हुए बताया कि सामाजिक विसंगतियों को दूर करने के लिए हमें बड़ी सावधानी और सजगता के साथ काम करने की जरूरत है। पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ निरंजन चिरानियां ने विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि समाज के अंतिम छोर तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। युवा एवं सक्रिय कार्यकर्ताओं को इस कार्य में शासन-प्रशासन और जरूरतमंदों का सहयोग करना चाहिए। गौरीशंकर उपाध्याय, सरदारशहर सह संयोजक भरत गौड़, तारानगर के किशोर निर्वाण ने विचार व्यक्त किए। रियाजत खान एवं मुबारिक भाटी ने ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा’ नग्मे की प्रस्तुति दी। संभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

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