राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष (राज्यमंत्री) प्रेम सिंह बाजौर ने कहा कि सरकार ने शहीदों के प्रति अपना दायित्व निभाते हुए शहीदों के माता-पिता या अन्य परिजनों को आर्थिक सहायता राशि भेंट की है। इस राशि से वे अपने जीवन को बिना किसी कठिनाईयों के जी सकेंगे और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। बाजौर ने कहा कि यह पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों के परिजनों का दुख-दर्द समझा है और उनके घर जाकर उनको सहायता राशि दे रही है। सोमवार को राज्य मंत्री बाजौर एवं सांसद संतोष अहलावत ने झुंझुनू सर्किट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान सीथल के शहीद मनीराम, मलसीसर के शहीद रामस्वरूप, बिशनपुरा के शहीद शीशराम गिल ,मैनपुरा के शहीद रणवीर सिंह, नंगली गुजरान के शहीद खडग़ सिंह, ढाका की ढाणी के शहीद विजयपाल, मिठारवाल की ढाणी के शहीद रामजीलाल, बागापडता की ढाणी के शहीद राजेन्द्र कुमार, दूडियां के शहीद सुरेश कुमार, अणगासर के शहीद दलीप कुमार थाकन, झटावा खुर्द के शहीद भंवर लाल, सिंगनौर के शहीद रामवतार, नूआं के शहीद इश्तियाक अहमद खान, पूनियां की ढाणी के शहीद दिनेश कुमार पूनियां, ढीलसर के शहीद भंवरलाल, झाझड के शहीद प्रहलाद सिंह, पौंख के शहीद दशरथ सिंह, केमरी की ढाणी के शहीद रामजीलाल, टोडपुरा के शहीद जगदीश प्रसाद धींवा, मीठवास के शहीद सत्यपाल सिंह पूनियां, पौंख के शहीद नात्थू सिंह शेखावत, रघुनाथपुरा के शहीद शंकर सिंह, पीपल का बास के शहीद किरोडीमल, धमोरा के शहीद मनोज कुमार जाखड, भीमसर के शहीद फारूक अहमद, लालपुर के शहीद महेन्द्र सिंह, टीटनवाड के शहीद बलवीर सिंह, बहादुरवास के शहीद महीपाल सिंह, चारणवास के शहीद शीशराम वर्मा, पोसाना के शहीद धर्मपाल सिंह, भोडक़ी के शहीद विधाधर ंिसह महला, झुंझुनू के शहीद इन्द्रसिंह एवं फतेहसरी के शहीद राजेश कपूरियां सहित 33 शहीदों के माता-पिताओं को राज्य सरकार की ओर से 54 लाख 71 हजार रूपये के चैक वितरित किए।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी अमीलाल कृष्णियां ने बताया कि कारगिल युद्ध के बाद के जिन शहीदों के माता-पिताओं को राज्य सरकार द्वारा तीन लाख रूपये की पूर्ण राशि का भुगतान नहीं हुआ था इनमें से कुछ शहीदो के माता-पिताओं को ड़ेढ़ लाख रूपये और कुछ को एक लाख 98 हजार रूपये यानि तीन लाख रूपये में से शेष रही राशि के चैक वितरित किए गए। यह राशि माता-पिता के भरण पौषण के लिए पोस्ट ऑफिस के खातो मे जमा की जाती हैं जिससे मिलने वाले ब्याज की राशि से शहीद के माता-पिता अपना भरण पोषण कर सकें।