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पत्रकारिता जीवन की आवश्यकता एवं महत्वपूर्ण विधा है – हितेश शंकर

नारद जयन्ती पर हुआ पत्रकारों का सम्मान

पाञ्चन्य के सम्पादक हितेश शंकर ने कहा कि पत्रकारिता जीवन की आवश्यक एवं महत्वपूर्ण विधा है। पत्रकारिता का समाज में बड़ा महत्व है तथा नारदजी ने पत्रकारिता को दिव्यता प्रदान की थी। पत्रकारिता में तत्थों के साथ खबर प्रकाशित करने से पाठकों में खबर की विश्वसनियता कायम रहती है। हितेश शंकर शनिवार को भारतीय शिक्षा संकुल में आयोजित नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि झूठी खबरे देना पत्रकारिता नहीं है। देश में सामाजिक मूल्यों को स्थापित करना ही सच्चे अर्थों में पत्रकारिता धर्म है। आज बडे मीड़िया घराने अपने मुख्य उद्योगों के संचालन के लिए पत्रकारिता का उपयोग कर रहे है। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता मुख्य विषयों से भटक गई है जिससे जनहित के मुद्दे गोण हो गए है। पत्रकारिता में गलती, गफलत, लत से सतर्क रहना आवश्यक है। पत्रकारिता में गंगा जैसी निर्मलता का भाव रहना जारूरी है। उन्होंने पत्रकारों का आव्हान किया कि वे खबर देने वालें की भी खबर लेने का कार्य करें। समारोह के विशिष्टि अतिथि गेंदालाल ने कहा कि नारद जी अपनी स्पष्ट वादिता के लिए प्रसिद्ध रहे । उन्होंने सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए जीवन पर्यन्त कार्य किया। नारदजी सत्य व मानव कल्याण के लिए निष्पक्ष भाव से कार्य करते थे तथा उनकी बात को तीनों लोकों में महत्व दिया जाता था। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति विश्व का कल्याण करने वाली संस्कृति है। जनकल्याण के लिए पत्रकारिता का सकारात्मक उपयोग किया जाए। समारोह की अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्राचार्य हीरालाल जांगिड़ ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रह कर अपने पत्रकारिता के कत्र्तव्य का पालन करें। विशिष्ट अतिथि भारतीय शिक्षा संकुल के निदेशक एवं नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष हरीराम रणवां ने कहा कि पत्रकार सजग, स्वाभिमानी , गरिमामय होकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में सकारात्मक सोच के साथ अपने पत्रकारिता धर्म को बखूबी निभाएं। इस अवसर पर सीकर, चूरू, झुंझुनूं के प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीड़िया कर्मी उपस्थित रहें।

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