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पर्यावरण प्रेम क्या होता है यह कोई सेहीकलां की मुन्नीदेवी गोदारा से सीखे

पिछले पांच साल से बच्चों की तरह देखभाल कर रही है पेड़-पौधों की

घर की जिम्मेदारी के उठा रखा है पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा

चिड़ावा [रमेश रामावत की स्पेशल रिपोर्ट] झुंझुनूं जिले में चिड़ावा कस्बे के नजदीक सेहीकलां गांव की एक गृहणी महिला मुन्नी देवी गोदारा चाहे साक्षर नहीं हो, लेकिन फिर भी समाज को पर्यावरण सरंक्षण के प्रति जागरूक कर रही है तथा समाज को पिछले पांच साल से पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दे रही है। मुन्नी देवी को अपने बच्चों की तरह ही पेड़-पौधों से भी लगाव है तथा स्वप्रेरणा से पेड़-पौधों की देखभाल कर रही है। गांव के जोहड़ में बने शिव मंदिर में करीब 50 से 60 पौधों को नियमित तौर पर देखभाल करना अब मुन्नी देवी की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। इस जोहड़ की अब तस्वीर भी बदल गई और अब पेड़ों से हराभरा जोहड़ नजर आ रहा हमारी टीम जब गांव सेहीकलां पहुंची तो देखा कि मुन्नी देवी अपने घर से जो कि जोहड़ के मंदिर से एक किलोमीटर दूर है वहां से मटके में पानी लाकर पेड़-पौधों में डालती है। इस जिम्मेदारी को स्वेच्छा से पूरी खुशियों से निभा रही है। घर की देखभाल की जिम्मेदारी के साथ–साथ समाज में पयार्वरण योगदान देने की इच्छा शक्ति सच में काबिले तारीफ है और प्ररेणादायक भी है। गांव की ये एकमात्र महिला है, जिन्होंने ये बीड़ा उठा रखा है। कहते है कि जब किसी कार्य को करने की लगन हो तो साधनो के अभाव भी उसके हौसलों को नहीं तोड़ पाता है। ये कहावत मुन्नी देवी पर सटीक बैठती है। पानी की सुविधा नहीं होने के बावजूद भी पेड़-पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी बेखूबी से निभा रही है मुन्नी देवी। पेड़-पौधों में पानी डालने के लिए नियमित रोजना अपने घर से एक किलोमीटर की दूरी तय कर मुन्नी देवी मटके से पानी लेकर आती है और पेड़ों में पानी डालती है। ये दिनचर्या का हिस्सा भी बन गया है। मुन्नी देवी के पति प्रताप सिंह गोदारा का तीन साल पहले देहांत हो गया। जिसके बाद परिवार की जिम्मेदारी भी मुन्नी देवी के ऊपर ही आ गई। मुन्नी देवी के दो बेटे अमित एवं विकास है। अमित विकलांग है तो विकास मजूदरी करता है। मुन्नी देवी खेती से अपना जीवन गुजर बसर कर रही है। तथा घर एवं समाज की जिम्मेदारी दोनों निभा रही है। ये गांव में एक मात्र ही उदाहरण है जोकि स्वेच्छा से पेड़-पौधों की देखभाल कर रही है। मुन्नी देवी के पर्यावरण प्रेम देखकर लगता है कि उन्होंने पेड़-पौधों की देखभाल करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। पूर्व सरपंच जगदीश बड़सरा ने बताया कि मुन्नी देवी को इस बार 15 अगस्त पर उनके पर्यावरण के प्रति कार्य को देखते हुए सरकारी स्कूल में हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह में सम्मानित किया गया। इन्होंने कहां कि मुन्नी देवी गांव की अन्य महिलाओं के लिए एक अच्छा उदाहरण साबित हो रही है हमे पर्यावरण के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। सभी ग्रामवासियों को इस तरह का योगदान देना चहिये । मुन्नी देवी एक छोटे से गांव में जिस प्रकार से स्वेच्छा से पर्यावरण के लिए कार्य कर रही है, वो न केवल काबिले तारीफ ब्लकि प्ररेणादायक भी है।

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