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4 जून 1989 चीन के थियानमन चौक में हुई हजारों छात्रों की हत्या

आओ जाने 4 जून के संबंध में

लेखक डॉ सुरेन्द्र जाखड़

जयपुर, 31 वर्ष पहले 4 जून 1989 को चीन में लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग करने वाले हजारों छात्रों एवं नागरिकों का नरसंहार कर दिया गया था। 80 के दशक में चीन में सरकार के खिलाफ लोगों में बड़ा गुस्सा था। उन दिनों चीन के नागरिक अपने देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे थे चीन की राजधानी बीजिंग में सबसे ज्यादा प्रदर्शन हुए। चीन सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों में कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्र ज्यादा थे। प्रदर्शनकारी आजादी की मांग को लेकर थियानमन चौक पर इकट्ठा हुए चीन के वामपंथी इतिहास में इससे बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन कभी नहीं हुआ। यह प्रदर्शन चीन के विभिन्न शहरों और विभिन्न विश्वविद्यालयों तक पहुंच गया था प्रदर्शनकारी चीन में वामपंथी तानाशाही को समाप्त करने और स्वतंत्रता और लोकतंत्र की मांग कर रहे थे। उनकी शिकायत उस समय बढ़ती हुई महंगाई और कम होती तनख्वाह और घरों को लेकर भी थी। 3 जून की रात टैंकों के साथ सेना थियानमन चौक पहुंची और वहां मौजूद लोगों पर रात्रि में गोलीबारी शुरू कर दी जिसमें शांति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे निहत्थे हजारों लोग मारे गए। जिनमें अधिकांश कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी थे। इस नरसंहार के तीन दशक बाद भी चीन में इस घटना के उल्लेख की मंजूरी नहीं है। चीन में इंटरनेट पर भी थियानमन चौक नरसंहार से जुड़ी हुई जानकारी प्रतिबंधित है। मुझे वर्ष 2011 एवं 2013 में भारत चीन युवा कार्यक्रम के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में चीन के दस प्रोविंस (राज्यों) का दौरा करने का अवसर मिला उस दौरान हमें बीजिंग में चीन के संसद भवन भी ले जाया गया वहां से थियानमन चौक पास ही है, तब मैंने मौका पाकर थियानमन चौक जाकर मन ही मन 4 जून 1989 को लोकतन्त्र की मांग करने वाले हजारों शहीदों को अपनी मौन श्रद्धांजलि दी।

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