राज. हाईकोर्ट ने प्रसव के दौरान डॉक्टर दंपत्ति की लापरवाही के चलते प्रसूता की हुई मौत के चर्चित मामले में परिजनों द्वारा डॉक्टर दंपत्ति को सेवा से बर्खास्त करने, उनके निजी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने एवं उनके विरुद्ध ठोस कार्यवाही की मांग को लेकर दायर की गई याचिका की सुनवाई के उपरांत राज्य सरकार के चि.एवं स्वा.विभाग के प्रमुख शासन सचिव, निदेशक, सयुंक्त निदेशक (प्रशा.) एवं सीएमएचओं झुंझुनू को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता सूबेदार महावीर सिंह ने एडवोकेट संजय महला के जरिए याचिका दायर कर बताया कि प्रार्थी की पुत्रवधू अनिता की मृत्यु 23 फरवरी को राजकीय बीडीके अस्पताल झुंझुनू में कार्यरत्त डॉक्टर दंपत्ति डॉ.सुमन काजला एवं डॉ.नरेंद्र काजला द्वारा अपने निजी अस्पताल में ले जाकर लापरवाही से प्रसव कराने के दौरान हो गयी थी जबकि उनके निजी अस्पताल में ब्लड व अन्य आवश्यक उपकरणों व साधनों का अभाव था। आरोप लगाया गया कि उक्त निजी अस्पताल उचित मापदंडो से परे संचालित था। प्रसव के दौरान लापरवाही से हुई मौत के इस प्रकरण की जांच प्रशासन द्वारा एक कमेटी का गठन कर सीएमएचओं, अति. पुलिस अधीक्षक एवं अति. जिला कलेक्टर द्वारा कराई गई जिस पर कमेटी ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर को 26 मार्च 2018 को सौंपी तथा निष्कर्ष में प्रसूता की मृत्यु का कारण डॉक्टर दंपत्ति की लापरवाही माना। बहस के दौरान एडवोकेट संजय महला ने कहा कि आरोपी डॉक्टर दंपत्ति की लापरवाही से प्रसूता की मौत हुई है तथा ये नियमों से परे जाकर ईलाज के नाम पर आवश्यक संसाधनों की कमी वाला अपना निजी अस्पताल संचालित कर आम जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है। प्रशासन आँख मूंदे हुए है। सरकार को ऐसे मामलों में दोषियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे मृत्यु मामलों में जहां जांच के बाद लापरवाही साबित हो जाती है वहां उनको एपीओं या दूसरी जगह भेज देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें सेवा से बर्खास्त कर रजिस्ट्रेशन निरस्त कर उनके निजी अस्पताल भी सीज कर दिए जावे। उन्होंने प्रकरण के तथ्यों परिस्थितियों एवं जांच निष्कर्ष के आधार पर दोषी डॉ.दंपत्ति पर उचित कार्यवाही किए जाने की मांग की। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब करते हुए प्रकरण में सुनवाई तिथि 25 जुलाई तय की है।