ससुर ने बहू को बेटी मानकर कार गिफ्ट की दहेज भी नही लिया
फतेहपुर शेखावाटी (बाबूलाल सैनी) दहेज की आग में अक्सर आपने लड़कियों को झुलसते ही देखा होगा। दहेज एक ऐसी कुप्रथा है जिसके कारण ज्यादातर परिवारों में कन्या भ्रूण हत्या के मामले सामने आते हैं। क्योंकि ऐसी परिस्थिति में बेटियों को बोझ समझ लिया जाता है. लेकिन इन सब कुरीतियों को जवाब देते हुए फतेहपुर के रहने वाले इस शख्स ने न केवल दहेज लेने से इंकार किया,बल्कि शादी के बाद जब बहु घर आई तो स्कूल की सैकड़ो बालिकाओं व ग्रमीणो की मौजुदगी मे ससुर ने बहू को तोहफे में कार दी। दहेज प्रथा कहीं न कहीं आज भी हमारे समाज में कायम है। दहेज ने न जाने कितने मां-बाप से उनकी संतानें छीनी है। इस लालच की आग में अक्सर लड़कियों का पूरा जीवन नरक बन जाता है और फिर बेटियां पिता पर बोझ बनने लगती हैं। इन सभी बातों को झुकलाते हुए एक ससुर ने इस कुप्रथा को मुंहतोड़ जबाव देते हुए न केवल दहेज लेने से मना किया। बल्कि अपनी नई बहू को खुद कार गिफ्ट की। दरअसल, सीकर के विधाधर भास्कर फतेहपुर इलाके के ढांढण गांव के रहने वाले हैं तथा पेशे से विधाधर भास्कर एकवरिष्ठ अध्यापक हैं। 1 दिन पहले ही उनके बेटे भास्कर राम की शादी फतेहपुर के रामगढ़ गुदड़वास गांव की नीलम जाखड़ के साथ हुई है। विधाधर का बेटा भास्कर राम इंजीनियर है और बहु नीलम भी एमएसी भौतिक शास्त्र सुबोध कॉलेज जयपुर की छात्रा है। सरकारी स्कूल के यह अध्यापक को नांमाकन वृद्धी व भामाशाहा से जनसहयोग व वृक्षारोपण मे जिला स्तर,तहसील स्तर पर सम्मानित भी हुयें है। विधाधर भास्कर कहते मे तब से शिक्षक लगा तब से बालिका स्कूल मे लगा मैनें बालिका को नजदिक से समझा है। वर्तमान मे महिला सशक्तिकरण की बात की जाती बेटी बचाओं की बात की जाती है, लेकिन बहु भी एक बेटी है। ऐसा मैसेज जायें जो बहु के प्रति धारणा हमारे समाज मे है वो बेटी के रूप मे बदलें दहेज जैसी बुराई को खत्म करे। सरकारी स्कूल के अध्यापक के इस बेटे की शादी में न केवल दहेज लेने से मना कर दिया। बल्कि दुल्हन को एक कार भी गिफ्ट की है। विधाधर और उनके बेटे के इस कदम ने हमारे संकुचित समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। अगर हर परिवार बहुओं को बेटियों का दर्जा दे तो, समाज की कई बुराईयों को खत्म किया जा सकता है।