अखिल भारतीय किसान महासभा के दवारा
सिंघाना, केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा किये जा रहे राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन तथा कोयला श्रमिकों की 2-4 जुलाई की तीन दिवसीय हङताल का अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के समर्थन के आव्हान के तहत आज अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड रामचन्द्र कुलहरि ने अनलोक-2 के नियमों का पालन करते हुए खुद के निवास पर केंद्रीय श्रम संगठनों के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन व कोयला श्रमिकों की तीन दिवसीय हड़ताल का धरना देकर समर्थन किया । कामरेड कुलहरि ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि देश में उत्पादन करने वाले किसान व श्रमिक दोनों के जायज हक देने की बजाय सरकार उन्हें खत्म करने पर आमादा है। केंद्र सरकार द्वारा लोक डाउन का दुरुपयोग किसानों और मजदूरों के खिलाफ कानून बनाने और लागू किये जाने के लिए किया जा रहा है ।सरकार ने लोक डाउन के दौरान शहीद हुए श्रमिकों की कोई सुध नहीं ली केवल समाज को धर्म के आधार पर बांटने और पूंजीपतियों को देश के बेश कीमती संसाधन सौंपने के काम में व्यस्त है ।केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश और थौक निजीकरण, भारतीय रेलवे, रक्षा, बंदरगाह, डाक, कोयला, एयर इंडिया, बैंक और बीमा, जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एफ डी आई की अनुमति देकरदेश के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को सुगम बनाने हातु कोविड-19 लोक डाउन का इस्तेमाल किया है ।सरकार ने लोक डाउन की मार से त्रस्त मजदूरों को केंद्र ने राज्यों को विशेष राशि उपलब्ध नहीं करवाई । मजदूरों को प्रतिदिन 500 रुपये व दो सौ दिन काम नहीं दिया । कई राज्यों ने काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिये। बेरोजगारों की संख्या 24 करोड़ हो गई । इसी तरह किसानों के खिलाफ तकन अध्यादेशों को लाकर कारपोरेट जगत के हित में काम किया है । कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य ( संवर्धन व सुविधा अध्यादेश 2020), मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान ( सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता अध्यादेश 2020), आवश्यक वस्तु ( संशोधन अध्यादेश 2020) बिजली कानून संशोधन विधेयक 2020 आदि अध्यादेशों को लाकर कृषि संबंधी राज्यों के अधिकार छिन लिये । अखिल भारतीय किसान किसान संघर्ष समन्वय समिति के आव्हान पर अखिल भारतीय किसान महासभा मजदूरों व किसानों की जायज मांगों को समय रहते तुरंत हल करने की मांग करती है ।