चूरू जिले के सादुलपुर तहसील में एक अनोखी पाठशाला चल रही है जो काम शिक्षा विभाग का विशाल महकमा नहीं कर पाया वह एक महिला ने कर दिखाने की ठानी हुई है। यूं तो सरकारे सभी को साक्षर करने के लिए करोड़ों रुपए अलग-अलग योजनाओं में पानी की तरह बहाती आ रही है मगर शहर व गांव के बाहर रहने वाले घुमंतू परिवार में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों की सुध कोई नहीं लेता या यूं कहें की साक्षरता की योजना जो चलाई जा रही हैं वो इन लोगों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है। कभी योजना बदल जाती है तो कभी सरकारें बदल जाती हैं और अधिकतर झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले घुमंतू जाति के बच्चे अशिक्षित ही रह जाते हैं इनका तो सिर्फ कागजी आंकड़ा ही फिट किया जाता है। लेकिन सादुलपुर के बेरासर गांव की महिला गायत्री देवी ने भीख मांगने वाले बच्चों व झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को साक्षर करके इनको मुख्यधारा में जोड़ने के लिए पूरा प्रयास कर रही है गायत्री देवी हर रोज अपने गांव बेरासर से 12 किलोमीटर दूर आकर घुमंतू जाति के झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाती है इस काम के लिए चाहे इनका कोई विरोध करें या चाहे इन्हें कोई धन्यवाद दे या न दे मगर वह झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही है। इतना ही नहीं गायत्री देवी होली दीपावली जैसे त्योहार भी इन्ही बच्चों के साथ मनाती है बच्चों को उपहार व खुशियां भी बांटती है।