झुंझुनू, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की भूमिका वैश्विक विकास को समावेशी और टिकाऊ बनाने में महत्वपूर्ण है। ये 17 लक्ष्यों का सेट है जिसे 2030 तक पूरा करने का उद्देश्य है। इन लक्ष्यों में गरीबी उन्मूलन, भूख समाप्ति, स्वास्थ्य और कल्याण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा काम और आर्थिक वृद्धि, और औद्योगिक नवाचार और बुनियादी ढांचा शामिल हैं। इन लक्ष्यों का उद्देश्य समावेशी विकास सुनिश्चित करना है ताकि कोई भी पीछे न रह जाए। यह समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को संतुलित तरीके से सुधारने का प्रयास है, जिससे वैश्विक स्तर पर टिकाऊ और समान भविष्य की नींव रखी जा सके।
इसी क्रम में पिरामल फाउंडेशन द्वारा झुंझुनू जिले के सरकारी विद्यालयों में एक परियोजना की शुरुआत की गई है जिसका मुख्य उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य-3 (स्वास्थ्य और कल्याण) व लक्ष्य-6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) की प्राप्ति में अहम भूमिका सैनेट्री नैपकिन परियोजना द्वारा करने की ओर अग्रसर हुआ जायेगा | इस परियोजना के माध्यम से कक्षा 6 से कक्षा 8 तक विद्यार्थियों को अपने परिवेश में इस परियोजना से सम्बंधित कार्यों को करने का अवसर मिलेगा जिसके माधयम से सभी विद्यार्थी टीम वर्क, सहभागिता, प्रभावी संचार, नेतृत्व, आलोचनात्मक चिंतन, समस्या समाधान, सृजनात्मकता, आदि जैसे कौशलों को अपने अंदर जाग्रत करने का अवसर मिलेगा | इस परियोजना के माध्यम से विद्यालय के सभी लोगों एवं स्थानीय जनों को जागरूक कर उन्हें इन लक्ष्यों की प्राप्ति में अपनी सहभागिता करने के लिए प्रेरित किया जायेगा | इसके अलावा इस परियोजना के माधयम से अभी तक झुंझुनू जिले के 25 से अधिक विद्यालयों एवं पंचायतों के 100 से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं, 900 से अधिक विद्यार्थियों, 250 से अधिक माता-पिताओं का इस परियोजना पर आमुखीकरण गांधी फेलो ऐश्वर्या, प्रतिज्ञा कुमारी लाला, गजानन रामलाल, कन्हैया, एवं अलीशा सिंह द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न किया जा चूका है |
इस परियोजना के अंर्तगत इन सरकारी विद्यालयों के बच्चों ने सर्वेक्षण द्वारा अपने आसपास के लोगों से समूह में बातचीत कर मासिक-धर्म चक्र से सम्बंधित स्वछता, जागरूकता, स्वास्थ कल्याण पर समझ, आदि पर उनके विचारों एवं अभिमतों को एकत्रित करने का प्रयास किया | साथ ही साथ शिक्षक-शिक्षिकाएं, एवं विद्यार्थी विडिओ सत्रों, एवं समूह में बातचीत द्वारा स्वंय को जागरूक करने की ओर अग्रसर हैं जिससे वह न सिर्फ अपने आसपास के लोगों को मासिक धर्म स्वछता को लेकर जागरूक कर पायें बल्कि उन्हें प्रेरित भी कर पायें कि इस तरह के मुद्दों पर एकजुट होकर किस तरह से आगे आया जा सकता है और एक आदर्श समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है |
पीरामल फाउंडेशन के सीनियर प्रोग्राम लीडर अशगाल खान ने बताया कि इस परियोजना से विद्यार्थी न सिर्फ स्वंय को मासिक-धर्म चक्र के प्रति स्वंय को जागरूक करने की और अग्रसर होंगे बल्कि इसके माध्यम से वह समस्या की खोज करना, उसके संभावित हलों पर विचार विमर्श करना, समाधानों को सभी कि सहभागिता से लागू करने के बारे में भी सीखेंगे और सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में एक वैश्विक नागरिक के रूप में अपनी एक अहम भूमिका निभाएंगे | साथ ही साथ विद्यार्थी सैनेट्री नैपकिन को बनाने की प्रक्रिया में शामिल होते हुए अपने अंदर उद्यमशीलता जैसी मानसिकता एवं कौशलों को अर्जित करने की ओर बढ़ रहे होंगे |