महेश माली हत्याकांड में
सुजानगढ़, 16 मार्च 2012 को मेगाहाईवे पर हुए चर्चित महेश माली हत्याकांड में शनिवार को एडीजे न्यायालय का चौंकाने वाला फैसला आया है। इस हत्याकांड में न्यायालय ने पुलिस जांच को आत्मघाती कमियों वाला मानते हुए सभी चारों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक महेश माली के भाई कमलकिशोर पुत्र मांगीलाल माली निवासी वार्ड न. 5 द्वारा यह प्रकरण दर्ज करवाया गया था कि मेरे भाई महेश माली को फोन करके बुलाया गया था और मेगाहाईवे स्थित खाली प्लॉट में 16 मार्च 12 की शाम को शराब पिलाकर चाकूओं से वारकर महेश माली की हत्या कर दी गई। मुकदमा दर्ज होने के बाद मामले में पुलिस ने जांच की और चार आरोपियों मीकू उर्फ मुकेश स्वामी पुत्र जगदीश स्वामी, सद्दीक पुत्र लाल खां कायमखानी, अतुल पुत्र हरिओम सोनी, रवि पंवार पुत्र पूनमचंद पंवार निवासीगण सुजानगढ़ के खिलाफ चालान पेश किया। मामले में तत्कालीन सीआई जगदीश बोहरा ने जांच की। आरोपियों के विरूद्ध रामप्रताप विश्नोई ने चार्जशीट पेश की। वहीं जांच तत्कालीन एएसपी अनिल क्याल की देखरेख में की गई। शनिवार को एडीजे न्यायाधीश रामपाल जाट ने खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाया और संदेह का लाभ देते हुए चारों आरोपियों को बरी कर दिया। न्यायालय ने हत्या के इस मामले में पुलिस जांच को आत्मघाती माना और कहा है लगता है कि इस मामले को अन्वेषण से पहले ही धराशाही कर दिया गया। न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में फैसले की प्रति बीकानेर रेंज आईजी को भेजी जाकर आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखा जावे। दूसरी ओर सभी आरोपियों के बरी किये जाने से परिवादी कमलकिशोर रोने लगा। वहीं कमलकिशोर ने बताया कि हमारा परिवार फैसले से संतुष्ट नहीं है और हम आगे अपील में जायेंगे। वहीं मृतक महेश की मां चंपादेवी ने रोते हुए बताया कि सरकार ने मेरे बेटे की हत्या के दोषियों को सजा क्यों नहीं दिलवाई। उसकी साबित होनी चाहिए की हत्या किसने की, जिसका बेटा जाता है उसी को पता होता है।