ऑर्गेनिक उत्पादों के इस्तेमाल से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है-ड़ॉ कस्वां
झुंझुनू , अधिक और जल्दी उत्पादन लेने के चक्कर में आजकल कृषि व बागवानी के क्षेत्र में कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। डॉक्टर्स बताते हैं कि इन पेस्टिसाइडस की वजह से अनेक बीमारियां पनप रही हैं तथा एक तरह से यह मानव जीवन के साथ खुला खिलवाड़ है। सब्जियों में इन कीटनाशकों के बेतहाशा इस्तेमाल से बचने के लिए आजकल जो एक नवाचार प्रचलन में है वह है किचन गार्डन कोरोना काल मे इसमे और भी तेजी आई है जब लोगों ने घरों में रहने की मजबूरी को अवसर में बदला है। कोई भी व्यक्ति अपने घर में उपलब्ध खाली जगह जो यूं ही पड़ी रहती है उसे जैविक,केंचुआ तथा परंपरागत गोबर खाद का उपयोग करते हुए अच्छी गुणवत्ता के बीज इस्तेमाल कर फलदार वृक्ष व सब्जियां तैयार कर सकता है। जो बहुत छोटे घर हैं उनमें भी आजकल ट्रे व गमलों में सब्जियां उगाई जा रही हैं। झुंझुनू जिले में भी हमारे यहां के कृषि वैज्ञानिकों की प्रेरणा से अनेक लोगों ने अच्छे किचन गार्डन तैयार कर रखे हैं जिनको समय-समय पर सलाह और प्रोत्साहन कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर व कृषि विभाग झुंझुनू द्वारा दिया जाता है। इसी कड़ी में शनिवार को डॉ दयानंद वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर तथा डॉक्टर विजयपाल कस्वां सहायक निदेशक कृषि विस्तार झुन्झुनू ने धनकड़ नगर स्थित तेतरवाल भवन में किचन गार्डन का निरीक्षण व अवलोकन किया तथा आवश्यक जानकारियां प्रदान की। मकान मालिक एडीओ कमलेश तेतरवाल से उन्होंने किचन गार्डन विकसित करने के बारे में विस्तार से पूछा तथा उसको और बेहतर बनाने के लिए उपयोगी सुझाव भी दिए। उन्होंने देखा कि कई सब्जियों व फलदार वृक्षों पर कुछ रोग के लक्षण दिखाई दे रहे थे तो उन्होंने सलाह दी कि अगर उसको दूर करने के लिए आप कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग ना करना चाहें तो देशी अर्क तैयार करके भी इनको दूर किया जा सकता है जिसमें नीम,आक,धतूरा,अरणी आदि के पते व गुड़ आदि कुछ आसानी से उपलब्ध चीजों का इस्तेमाल करते हुए अर्क बनाया जा सकता है।इसी के साथ उन्होंने वहां खुले में पड़ी गोबर खाद के बारे में भी सलाह दी इसे मिट्टी की परत से ढक कर रखें तथा इसकी गैस को बाहर निकलने नहीं दें।जब भी तो इस्तेमाल करनी हो तो उसको छिड़क कर मिट्टी में मिलाएं। बेलदार सब्जियों के लिए उन्होंने पाइप खड़े कर लोहे के जाल लटकाने की सलाह दी वहीं सर्दी व गर्मी से सुरक्षा के लिए हल्के नेट वाले शैड भी बनाने का सुझाव दिया। इसके अलावा बारिश का पानी स्टोर कर वर्ष भर बीच बीच मे उस पानी के उपयोग की भी सलाह दी जिससे फ्लोराइड के असर को कम किया जा सके। डॉ दयानंद ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर कृषकों को निशुल्क सलाह व प्रशिक्षण देता है तथा उन्नत किस्म के बीज व उनसे संबंधित जानकारी भी उपलब्ध करवाई जाती हैं। वही डॉक्टर विजयपाल कस्वां ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित हैं तथा बड़े प्रोजेक्ट लगाने के लिए भी सब्सिडी युक्त योजनाएं संचालित हैं। तेतरवाल परिवार के साथ दोनों ही कृषि विशेषज्ञों ने विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर उनके साथ मनभरी देवी, राज्यश्री तेतरवाल,संयम तेतरवाल इंजीनियर हिमानी तेतरवाल,प्रशांत झाझड़िया,शुभांगी,काव्य भी उपस्थित रहे। दोनों कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि अगर शहरी आवासीय क्षेत्रों में उपलब्ध खाली जमीन में प्रत्येक परिवार किचन गार्डन तथा जिले के निजी व राजकीय विद्यालयों में भी किचन गार्डन विकसित करें तो इससे न केवल पैसों की बचत होगी बल्कि जिले में स्वास्थ्य के प्रति जागृति भी बढ़ेगी तथा लोगों का रुझान ऑर्गेनिक उत्पाद इस्तेमाल करने की ओर विकसित होगा।