गांवों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए लगाये जाएंगे शिविर
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव जगत सिंह पंवार ने कहा है कि 18 वर्ष से कम आयु की स्त्री और 21 वर्ष से कम आयु के पुरूष के मध्य विवाह बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत अपराध हैं। उन्होंने कहा कि अधिनियम के उल्लंघन पर विवाह करने वाले पुरूष, विवाह सम्पन्न कराने वाले माता-पिता, संरक्षक, उसमें भाग लेने वाले व्यक्ति, अतिथिगण, विवाह सम्पन्न कराने वाले पंडित, काजी, पादरी तथा विवाह के लिए साधन-सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले व्यक्ति, मेरिज गार्डन, बैण्डबाजा, संगीत, टेन्ट हाउस, हलवाई को दो वर्ष तक के कठोर कारावास से दण्डित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विवाह के शादी कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस मालिक कार्ड पर शादी योग्य लड़का-लड़की की आयु भी अंकित करवायें। उन्होंने बताया कि जिले के गांवों में बाल विवाह नहीं करने के संबंध में आमजन को जा गरूक करने के लिए 108 शिविर आयोजित करने की कार्य योजना बनाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह के लिए यह नियम बनाया जावें कि सभी संस्थान, सेवा प्रदाता अपने पक्षकार से इस आशय की घोषणा, शपथ पत्र प्राप्त कर लेवें कि उनकी सेवाएं ाबाल विवाह के लिए नहीं मांगी गई है। कोई भी पक्षकार बालक की श्रेणी में नहीं आता है। मैरिज गार्डन के बाहर दृश्यमान स्थान पर यह प्रकाशित किया जावें कि यह आयोजन बाल विवाह अथवा उससे संबंधित कार्यक्रम नहीं है। उन्होंने कहा कि विवाह के पंजीयन अनिवार्य करते हुए ई-पोर्टल के माध्यम से 30 दिवस के पूर्व नोटिस पर विवाह-पूर्व पंजीयन की व्यवस्था स्थापित की जावें। विवाह पूर्व पंजीयन में आधार कार्ड, जन्म प्रमाण-पत्र, आयु-प्रमाण पत्र की प्रविष्टियां प्राप्त की जावें। इस विवाह पूर्व पंजीयन के आधार पर संबंधित पुलिस, थाना विवाह का सत्यापन करें जैसा कि किरायेदार, नौकरों के संबंध में किया जाता है कि विवाह का कोई पक्षकार बालक नहीं है, विवाह के उपरांत इस पोर्टल पर पूर्ववर्ती आवेदन प्रमाण-पत्र जारी किया जावें । ऎसा विवाह पूर्व पंजीयन नहीं कराए जाने पर यह खण्डनीय उपधारणा की जावे कि ऎसा विवाह बाल विवाह था। विवाह पूर्व पंजीयन व्यवस्था, ई-पोर्टल आरम्भ नहीं होने तक मुद्रणकर्ता द्वारा निमंत्रण पत्र की एक प्रति संबंधित पुलिस थाने को सत्यापन के लिए अपने स्तर से भी भेजी जावें । विवाहकर्ता भी अपने स्तर से विवाह की सूचना संबंधित थानाधिकारी को सत्यापन के लिए भिजवायें। पंवार ने कहा कि राजकीय सेवाओं में नियुक्ति के समय चयनित अभ्यर्थियों से यह घोषणा, शपथ-पत्र लिया जावे कि उसके द्वारा बाल विवाह नहीं किया गया है। बैेंक निजी ऋण देते समय यह शपथ-पत्र, घोषणा-पत्र प्राप्त करे कि यह ऋण राशि बाल विवाह के लिए उपयोग नहीं की जावेगी। बाल विवाह से संबद्ध परिवारों को ऋण राहत योजनाओं का लाभ प्रदान नहीं किया जावें। बाल विवाह से संबद्ध व्यक्ति, परिवारों को राजकीय योजनाओं के अतंर्गत आर्थिक लाभ ऋण, ऋणमाफी, सब्सिडी, अनुदान, छात्रवृत्तियां प्रदान नहीं किये जावें। उन्होंने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के संबंध में जन जागरूकता के लिए राजकीय कार्यालयों, पुलिस थानों में हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की जाएगी। बैठक में जिला विधिक चेतना समिति के पदेन सदस्य महावीर सिंह, सदस्य सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी पूरण मल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सहायक निदेशक पिंकी गोडवाल, राधेश्याम मोर्य, महिला सदस्य अनुराग शर्मा ने हिस्सा लिया।