राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार
चूरू, जम्मू कश्मीर में सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए राणासर गांव के हवलदार असलम खान की की पार्थिव देह को रविवार रात सुपुर्दे-खाक कर दिया गया। राजकीय सम्मान से गांव राणासर में उनकी अंत्येष्टि की गई। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवर लाल मेघवाल, जिला कलक्टर संदेश नायक, एसपी तेजस्विनी गौतम सहित अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, पूर्व सैनिकों ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को नमन किया। इससे पूर्व शहीद की पार्थिव देह के बिसाऊ पहुंचने पर लोगों ने गगनभेदी नारों के साथ तिरंगा लहराकर अगवानी की और पार्थिव देह को राणासर स्थित उनके घर तक लेकर आए। तिरंगा यात्रा में लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, शहीद असलम तेरा नाम रहेगा’ के जयकारे लगाकर आसमान को गुंजायमान कर दिया। रविवार दिन भर शहीद के घर एवं पूरे गांव में लोगों का हुजूम रहा और रात्रि 10.30 बजे तक हजारों लोग वहां मौजूद रहे। रात नौ बजे बाद शुरू हुई उनकी अंतिम यात्रा में भी हजारों लोग शामिल हुए। बीकानेर से आई 5 राज राइफल्स की टुकड़ी ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। शहीद की पार्थिव देह के साथ आए 24 राष्ट्रीय राइफल्स के नायब सूबेदार राजेंद्र िंसंह ने बताया कि जम्मू कश्मीर के दादरवाल में पहाड़ी के आसपास आतंकवादियों के छिपने की सूचना पर शुक्रवार रात दस बजे दुर्गम पहाड़ी पर घेराबंदी की गई थी। इस दौरान दुर्गम स्थल और अंधेरी रात होने की वजह से रात करीब 2.30 बजे असलम का पैर फिसल गया और नाले में पानी का बहाव तेज होने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। अंत्येष्टि के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवर लाल मेघवाल, जिला कलक्टर संदेश नायक, पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां, जिला प्रमुख हरलाल सहारण, फतेहपुर विधायक हाकम अली, एसपी तेजस्वनी गौतम, एसडीएम श्वेत कोचर, एएसपी प्रकाश शर्मा, सैनिक कल्याण अधिकारी सागर मल सैनी, सुजानगढ प्रधान गणेश ढाका, रियाजत खान, पूर्व प्रधान रणजीत सातड़ा, पूर्व सभापति गोविंद महनसरिया, चिमनाराम कारेल, महावीर नेहरा, रामलाल फगेड़िया, शेर खान मलकान, आरिफ पीथीसर, शौर्य चक्र विजेता मुबारिक अली, कैप्टन लियाकत अली, यासीन अली, शब्बीर खां, मजीद खां, हिदायत खां, डीवाईएसपी सुखविंद्रपाल सिंह, सहित हजारों की संख्या में अधिकारी, जनप्रतिनिधि, ग्रामीण, पूर्व सैनिक, मीडियाकर्मियों तथा प्रदेश भर से आए लोगों ने शहीद को नमन किया। गांव के यासीन अली ने बताया कि शहीद के परिवार में उनकी पत्नी शहनाज के अलावा तीन लड़कियां एवं एक पंद्रह महीने का लड़का है। असलम खान 19 अगस्त को ही छुट्टियां मनाकर गए थे तथा 17 सितंबर को भतीजे की शादी में उनका गांव आने का कार्यक्रम था।