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शहरों में कारीगरी का काम करने वाले हाथो ने थामा नरेगा का दामन

प्रतिकूल परिस्थिति में अन्य लोगो को भी काम करने की दे रहे है प्रेरणा

कांवट, [अमरचंद शर्मा ] कोरोना के चलते हमारी दिनचर्या बदल रही है साथ ही लोगों के जरूरत के हिसाब से काम धंधों में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इस समय शेखावाटी के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में शहर से प्रवासी लोग आए हुए हैं जो कि शहर में भी अपनी आजीविका के लिए निवास करते थे लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना ने ऐसे हालात पैदा कर दिए की उन्हें अपने गांवो की और लौटना पड़ा। कांवट ग्राम पंचायत के घसीपुरा निवासी राजपूताना क्लॉथ स्टोर जयपुर में टेलर का कार्य करने वाले श्रवण कुमार आजकल नरेगा कार्य में लगकर अन्य बेरोजगारों को भी प्रेरित कर रहे हैं। ऐसा ही गुजरात में टाइलों का कार्य करने वाले रामनिवास सैनी, भोमाराम सैनी, रोहतास सैनी टाइलों का कार्य बंद होने पर गांव आने पर नरेगा में कार्य कर अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं। वही किसान शेर सिंह सब्जी की पैदावार का उचित मूल्य नहीं मिलने पर सब्जी का कार्य छोड़ नरेगा में श्रमिक का कार्य कर रहे हैं। वही देशराज बताते हैं कि जयपुर में उन्होंने व्यवसाय किया था किंतु कोरोना की वजह से सारा काम ठप पड़ा है जिसके चलते यहां पर नरेगा में श्रमिक का कार्य कर रहे हैं। वही मूलचंद सैनी ने बताया कि शादी विवाह में जूस का कार्य करते थे उसका कार्य बंद होने के कारण नरेगा में श्रमिक के रूप में कार्य करके अपनी आजीविका जैसे तैसे करके चला रहे हैं। इस अवसर पर नरेगा श्रमिकों को द्वारका प्रसाद खोकर की ओर से मास्क वितरण किया गया। गौरतलब है कि पूर्व में भी द्वारका प्रसाद की ओर से जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाकर सहयोग किया गया था। भाजपा सेवा सह संयोजक महेंद्र सिंह खोखर समाजसेवी ने सभी प्रवासी नरेगा श्रमिकों को स्वागत कर कोरोना से बचाव के लिए उपाय बताएं।

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