राजस्थान में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चूका है हालांकि अभी पूरे उम्मीदवारों की लिस्ट राजनीतिक दलों ने जारी नहीं की है परन्तु शेखावाटी में सियासत पर सट्टा बाजार ने बिसात बिछाकर दाव लगाना शुरू कर दिया है। पिछले चुनावो के परिणाम एवं सट्टे के तत्कालीन भावों और दावों का विश्लेषण करे तो पता चलता है कि अब तक तो ये सटीक ही साबित हुए है। शेखावाटी के सट्टे बाजार का आंकलन राजस्थान के राजनीतिक पंडितो के लिए विशेष माईने रखता है। शेखावाटी के झुंझुनू जिले में पिछले कुछ समय से पुलिस ने सट्टा कारोबारियों पर अपना शिकंजा कसा है। जिसके चलते सट्टा कारोबारी भी इस बार सोशल मीडिया के जरिये अपने व्यापार को परवान चढाने की तैयारी में है। इसके लिए व्हाट्स अप से कॉलिंग जैसी सुविधा को इस्तेमाल करने की तैयारियों में दिखाई पड़ते है। स्थानीय सट्टा बाजार में वर्तमान में कांग्रेस की 130 -132 सीटों का आंकलन किया जा रहा है वही सत्तारूढ़ भाजपा को 52 -54 सीटों में समेटा जा रहा है। उम्मीदवारो की लिस्ट नहीं आने से अभी सट्टा बाजार में कोंग्रेस और भाजपा की प्रदेश में आने वाली संभावित सीटों पर ही दाव लगाया जा रहा है। शेखावाटी की किसी निश्चित सीट पर भाव उम्मीदवारों की पूरी लिस्ट आने के बाद ही खुलेंगे। हालाँकि सट्टा कारोबारी विधानसभा की उम्मीदवारी को लेकर आंकलन तो कर रहे है लेकिन इस पर दाव लगाने के मूड में दिखाई नहीं पड़ते है। कुछ सीटों को लेकर ही सट्टा बाजार में भाव दिए जा रहे है जैसे झुंझुनू विजेंद्र ओला 13-16, मंडावा रीटा चौधरी-35-40, नवलगढ़ राजकुमार शर्मा 10-13 , उदयपुरवाटी कांग्रेस 65-75, चूरू राजेंद्र राठोड 110-130 ,राजगढ़ कृष्णा पूनिया 65-75 , श्रवण कुमार 13-16 व चंदेलिया के 6-9 पैसे के भाव चल रहे है वही कांग्रेस जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह की जीत पक्की मानकर कोई भाव नहीं दिए जा रहे है। साथ ही श्रवण कुमार की लीड से जीत के भी भाव लगाए जा रहे है। सट्टे कारोबारियों का मानना है कि इन विधानसभा चुनावो में 3500 से लेकर 5000 करोड़ तक का सट्टा प्रदेश में लगने का अनुमान है। सट्टे बाजार में कांग्रेस की सरकार बनने के आसार के चलते मुख्यमंत्री के प्रत्याशी अशोक गहलोत और सचिन पायलट पर भी दाव लगाया जा रहा है। जिसमे अभी तक अशोक गहलोत पायलट की तुलना में बढ़त बनाये हुए है। सट्टे बाजार में कोंग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है लेकिन सात दिसम्बर को ईवीएम मशीनों में बंद होने वाला सत्ता का यह जिन्न 11 दिसंबर को बाहर निकलकर कांग्रेस और भाजपा में से किसको आका कहकर बुलाता है यह देखने वाली बात होगी।