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शिक्षक के स्वयं के योगदान से बदली राजकीय विद्यालयों की तस्वीर – जिला कलेक्टर 

 राजकीय विद्यालय एवं आंगनबाड़ी पाठशालाओं में मनाए जा रहे प्रवेशोत्सव के तहत शुक्रवार को सूचना केन्द्र सभागार में शिक्षा विभाग की ‘‘उजियारा ‘‘ कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने कहा कि विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढाने में शिक्षक का योगदान अधिक महत्वपूर्ण है, वे कम संसाधनों से भी बेहतर परिणाम लाने की ताकत रखते हैं। उन्होंने बताया कि निजी विद्यालयों की तुलना में राजकीय विद्यालयों की शैक्षणिक €क्वालिटी अधिक अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार एवं भामाशाहों के सहयोग से आज राजकीय विद्यालय में भी सभी तरह की सुविधाएं मिल रही है। उन्होंने संस्था प्रधानों से कहा कि वे अपने क्षेत्र के भामाशाहों से सम्पर्क करें और उन्हें स्कूलों से जोडक़र संसाधन जुटाने का प्रयास करें।
महिला अधिकारिता विभाग के सहा. निदेशक विप्लव न्यौला ने बताया कि शिक्षक बच्चों के अभिभावकों को कन्वेंस कर उन के बच्चों को पहले आंगनबाडी केन्द्र और उसके बाद राजकीय विद्यालय से जोड़ सकते है। उन्होंने बताया कि निर्वाचक नामावलियों के आधार पर घर-घर जाकर बच्चों को चयनित कर स्कूलों एवं आंगनबाडी केन्द्रों से जोडऩे की जो मुहिम जिले में चलाई जा रही है, वह काबिले तारिफ है।
इस दौरान अति.जिला शिक्षा अधिकारी अम्मीलाल मूंड एवं रमसा की एडीपीसी श्रीमती विनोद जानू, अति. जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) राजेन्द्र खीचड़, डाईट प्रिंसिपल सुभाष महला, जेपी जानू उमावि के प्रिसिंपल मनीराम मण्डीवाल, बिसाउ राजकीय उमावि के प्रिसिंपल कमलेश तेतरवाल, जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद आबूसरिया, पीरामल फाउण्डेशन के गजेन्द्र सिंह, अनूज श्रीवास्तव सहित राजकीय विद्यालयों के संस्था प्रधान उपस्थित रहे।

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