श्री गोपीनाथ मंदिर में जगन्नाथ रथ यात्रा महोत्सव के तहत चल रही भक्तमाल कथा में कथा वाचक वृदावन धाम के सन्त किशोरी शरण दास महाराज ने कहा कि कलियुग में एक मात्र नाम-संकीर्तन ही भव सागर तार सकता है। उन्होने राम नाम की महिमा बताते हुए कहा कि कल जुग केवल नाम अधारा, सुनहीं-सुनही नर उतरहिं पारा, यानि भगवान का भजन ही सत्य है बाकी सब सपना है। इससे पूर्व भगवान जगन्नाथ को रथ में विराजमान कर मंदिर परिक्रमा करायी गई। मंदिर महन्त मनोहरशरणदास ने बताया कि 18 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की शही लवाजमे के साथ कस्बे के मुख्य बाजारो में विशाल रथ यात्रा निकाली जाएगी जिसमें वृन्दावन, जयपुर, जोधपुर, चोमूं, गोविन्दगढ़ सहित आसपास के भक्तगण भाग लेगें।
क्या महत्व है रथ यात्रा का – महन्त मनोहर दास ने बताया कि रोहिणी माता यशोदा से जगन्नाथ, बलदेव व सुभद्रा के जन्म की कथा सुना रही थी उस समय सुभद्रा को द्वारपाल बना रखा था लेकिन कृष्ण व बलराम अन्दर आ गये व कथा से अभिभूत होकर इतने आल्हादित हुए कि उनकी आंखे पथरा गई, हाथ छोटे हो गये, कद वामन हो गया तब माता ने तीनो स्वरूपो के नाम संकीर्तन की आराधना कलयुग में करने से पापो से मुक्ति मिलने की बात बताई। 15 वीं सदी में चैतन्य महाप्रभु ने रथ यात्र शुरू की जिसमें बताया कि जो भक्त कलयुग में भगवान जगन्नाथ के रथ के सामने नाम-संकीर्तन करेगा उसके समस्त पापो का विध्वंस होात है व भगवान जगन्नाथ के रथ को हाथो से खींचकर ले जाने तथा रथ के सामने नाचते गाते हुए नाम-संकीर्तन करने से जगत के समस्त पाप विध्वंस होते हैं तथा मनुष्य सद्गति एवं सद्बुद्धि प्राप्त करता है।