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श्री राम एवं केवट संवाद का वर्णन श्री हरिशरण जी महाराज ने राम कथा में सुनाया

झुंझुनूं, पुराना बस स्टैंड मित्तल कॉलोनी स्थित जालान निवास के सामने नोहरे में श्रीमती गायत्री देवी जालान फर्म छोटेलाल श्यामसुंदर जालान कपड़ा बाजार की ओर से प्रभात फेरी परिवार झुंझुनू के संयोजन में भव्य श्री राम कथा में छठे रोज शुक्रवार को भव्य श्री राम कथा में व्यास पीठ से हरि शरण जी महाराज ने कहा कि एप डाउनलोड करें भगवान राम मर्यादा स्थापित करने को मानव शरीर में अवतरित हुए। पिता की आज्ञा पर वह वन चले गए। भगवान राम वन जाने के लिए गंगा घाट पर खड़े होकर केवट से नाव लाने को कहते हैं, लेकिन केवट मना कर देता है और पहले पैर पखारने की बात कहता है। केवट भगवान का पैर धुले बगैर नाव में बैठाने को तैयार नहीं होता है। उन्होंने आगे बताया कि प्रभु ने स्वयं नौका में बैठने से पहले श्री जानकी जी को बिठाया। यह घटना भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा वैदिक काल से ही हमारे ऋषियों ने नारी की महिमा गाते नारी को पूजनीय कहा सम्माननीय बताया।
राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनकर श्रोता आनंदित हो गए। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आदर्श समाज में आज भी कायम है। भगवान प्रेम भाव देने वाले का हमेशा कल्याण करते हैं। कहा कि भरत ने भगवान राम के वनवास जाने के बाद खड़ाऊं को सिर पर रखकर राजभोग की बजाय तपस्या की। उन्होंने कहा कि जीवन में भक्ति और उपासना का अलग महत्व है। निष्काम भाव से भक्ति करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

जानकारी देते हुए आयोजक परिवार के सुभाष चन्द्र जालान ने बताया कि व्यास पीठ से श्री हरिशरण जी महाराज द्वारा 27 नवंबर तक मध्यान 1 बजे से सांय 5 बजे तक संगीतमय श्री राम कथा का संगीतमय वाचन किया जाएगा। इस अवसर पर आयोजक सुभाष चन्द्र जालान, गोपाल जालान, राम रतन जालान प्रमोद जालान, परमेश्वर जालान, अरुण जालान, मुकेश जालान, शिवकुमार जालान, दिनेश जालान, विनोद जालान, नन्दकिशोर जालान, रूपेश तुलस्यान, बंटी पंसारी, दिनेश ढंढारिया, डॉक्टर डीएन तुलस्यान श्रीकांत पंसारी, निर्मल मोदी, कुंदन सिंगडोदिया, चंद्रभान शर्मा खाजपुरिया, बालकिशन भुकानिया, सुरेंद्र सुरेका, रोहित गुप्ता, ललित अग्रवाल, रतन जोहरीवाल, कि्श अग्रवाल, गजेंद्र जोहरीवाल, कन्हैयालाल जोहरीवाल, विश्वकांत जोहरीवाल, पवन जोहरीवाल, विजय कुमार तुलस्यान, बिहारी लाल केडिया भाटीवाड, अशोक गोटेवाला, शिव खेतान, गोविन्द छापड़िया, अनिल पंसारी, डुंगरमल भुकानिया, रधुनाथ़ पोद्दार, सम्पत पुरोहित, परमेश्वर हलवाई, कैलाश चंद्र सिंघानिया, मुलचंद खेतान एवं रमेश जी पुजारी सालासर सहित अन्य भक्तजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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