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विद्याश्रम ग्रुप की ओर से आयोजित तीन दिवसीय हमारी संस्कृति हमारी विरासत के सरंक्षण ,पोषण, एवं प्रसार के उद्देश्य से भक्त ओर भगवान के अटूट एवं अदभूत विश्वास की कथा नानी बाई रो मायरो का संगीतमय आयोजन विद्याश्रम ग्लोबल एकेडमी विनायक विहार कोलोनी, धोद रोड सीकर के हाल में राजस्थानी मायड़ भाषा में संगीतमयी मायरे री कथा में व्यासपीठ से परम् विदुषी बाल व्यास मोनिका जी (बीकानेर ) ने आज द्वितीय दिवस पर कहा कि ये कथा भक्त और भगवान, पिता व पुत्री, भाई व बहन, तथा मायके ओर ससुराल के बीच रिश्तों को अलग अलग स्वरूपो में व्यक्त करती है। इससे हर परिवार को सिख मिलती है कि कोई भी छोटा बड़ा नही होता अगर समर्पण भाव से सभी मिलजुल कर रहे तो सब कार्य सिद्ध होते है। जब पीहर में नानी बाई को तरह तरह सामान की मायरे के लिए सूची थमाई गई और ताने मारे गए। तो नानी बाई ने पिता नरसी जी को कहा तो उन्होंने कहा कि तू चिंता क्यो करती ह मेरा साँवरा भरेगा मायरा। जब नरसी मेहता नगर अंजार के लिए अपने साथियों के साथ भात भरने अपनी टूटी फुटी बैलगाड़ी में तुम्बा, तूमड़ा लेकर रवाना हुए तो गाड़ी बीच रास्ते ही टूट गई तो भगवान स्वयं किशना खाती के रूप में आये और गाड़ी को ठीक किया । कहा कि जिस भक्त की गाड़ी भगवान स्वयं चलाते है उसको क्या तकलीफ हो सकती है । अगर भक्त जब भी अपनी करुणामयी वाणी से हरि को याद करताहै वो किसी न किसी रूप में आकर उसकी रक्षा करते है। वो भावनाओ के भूखे होते है उनके भंडारे हमेशा भक्तों के लिए खुले रहते है। श्रद्धा, विश्वास ओर अटूट भक्ति से जो भी कार्य किया जाता है उसमे सफलता निश्चित मिलती है और हर कार्य पूर्ण होते हैं