चूरू, आज के युद्धक्षेत्र में जीत के संचालन में शामिल व्यक्तिगत घटकों के योग से कहीं अधिक संयुक्त प्रयासों के अंतिम परिणाम की आवयश्कता है। निर्णायक जीत के लिए दोनाें जमीन और हवा के आयामों को मिलकर काम करना होगा। हाल में समाप्त हुए युद्ध अभ्यास गगन शक्ति में भारतीय वायु सेना के बल को सारे विश्व को प्रदर्शित किया, अब मौजूदा समय में भूमि और हवाई युद्ध अभ्यास करने का समय था।
ले.कर्नल मनीष ओझा ने बताया कि वायुसेना को नियोजन चरणों से ग्राउंड फोर्स ऑपरेशन में एकीकृत किया गया है। दुश्मन के लक्ष्य को मजबूत करने की आशा दिलाते हुए उनकी सेना को भूमि और वायु संचालन से समकालिक खत्म करना और साथ ही दुश्मन की रेखाओं के पीछे सैनिकों को डालने, घायलों को साथ-साथ दुश्मन के इलाके से तेजी से बाहर निकालना, अलग-अलग सैनिकों को रसद आपूर्ति प्रदान करके जमीन संचालन का समर्थन करना- वह कोई क्षेत्र नहीं जहॉ ये दो सेनायें संयुक्त रूप से परिचालन नहीं कर रहीं।
ले.कर्नल ने बताया कि एयरक्राफ्ट दूर-दूर के इलाके से उड़ रहे हैं, सुपरसोनिक उड़ान भरने और मिलीसेंकड में समन्वय प्राप्त करने के दौरान जमीनी बलों के साथ समन्वय करना कुछ हासिल करने के लिए निर्धारित किया गया था और प्राप्त समन्वय के स्तर ने सेना और वायुसेना दोनों को बहुत आत्मविश्वास दिया है