फिजीशियन एवं अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कैलाश राहड़ के अनुसार
विश्व अस्थमा दिवस ( 3 मई);-प्रत्येक वर्ष के मई माह की प्रथम मंगलवार को मनाया जाता है
विश्व अस्थमा दिवस पिछले 10 वर्षों से मनाया जाता है
विश्व अस्थमा दिवस
1.Global initiative for asthma (GINA)
2.US-based national heart lung and blood Institute (NHLB )
3.world asthma foundation
इन तीनों संगठनों के संयुक्त तत्वाधान से मनाया जाता है इससे एक Annual Theme के साथ मनाया जाता है
इसका मुख्य उद्देश्य :-आम जन में अस्थमा के बारे में जागरूकता पैदा करना है
अस्थमा फेफड़ों से संबंधित एक लंबी बीमारी है इस बीमारी से स्वाँस नली में शूजन आ जाती है और व्यक्ति को स्वाँस लेने में तक़लीफ़ हो जाती है
अस्थमा के लक्षण
1.श्वास छोड़ते समय सीटी जैसी आवाज़ आना
2.रात को श्वास में तक़लीफ ज़्यादा होना
3.परिवार में किसी को अस्थमा ऐलर्जी की शिकायत होना
4.मोषम में बदलाव एवं धूल से श्वास में तक़लीफ या खाँसी ज़्यादा होना है
*अस्थमा के कारण *
१.आनुवंशिक बच्चे जो प्रीटर्म है या ओपरेशन से पैदा होते हैं
२.वायु प्रदूषण ः-चूल्हे का धुआँ ,धूप अगरबत्ती ,पटाखे ,वाहनों का धुआँ
३.परिवार में कोई सदस्य धूम्रपान करता हो
४. मोटापा एवं fast food खाने से
५.घर की दीवारों में सीलन ,नमी , फंगस
६.व्यवसाय ः- Carpainter ,Painter बेकरी workeर
इनमें से धूल सबसे प्रमुख कारण हैं
भारत में अस्थमा की स्थिति
भारत में 1.3% अरब लोग अस्थमा से ही पीड़ित हैं।
भारत वर्ष में 6 percent बच्चे
2 parcent वयस्क अस्थमा से ग्रस्तहै
जबकि राजस्थान में 1.86% हैं
अस्थमा बढ़ने का मुख्य कारण शहरीकरण है
अस्थमा मरीज़ ऐसे रखें अपना ख़्याल :-
१.बहुत ज़्यादा वायु प्रदूषण के दौरान अपना इन्हेलर साथ लेकर चलें
२.मुख्य सड़क, रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड ,कार पार्किंग , जयादा भीड़ भाड़ वाली ,ज़्यादा प्रदूषित जगहों पर जाने से बचें
३.समय पर दवाई इन्हेलर लेवें
४. पौष्टिकआहार का सेवन करें
५. Steam therapy की मदद लें
६.अगर ज़रूरी हो तभी बाहर निकलें
७हर समय मास्क लगाए रखे
८. स्वाँस में ज़्यादा परेशानी होने परतुरंत चिकित्सक की सलाह लेवे
*इन्हेलर पीने की शिरप एवं गोलियों से बेहतर है क्योंकि *
१. इन्हेलर से दवा सीधे फेफड़ो व स्वाँस नली यानी तक़लीफ़ की जगह तक पहुँचती है जैसे की चमड़ी पर लगाने की दवाई या आँखों में डालने की eye drop २.इन्हेलर जल्दी असर दिखाते हैं
३.इनहेलर में कम दवाई की मात्रा की ज़रूरत होती है
४.इन्हेलर में बहूत कम या कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है
५.इन्हेलर लम्बे समय तक असरदायक होता हैं
अस्थमा के संभावित रोगी चिकित्सक की सलाह के अनुसार x-ray chest ,blood investigation, lung function test ( spirometer , peak flow meter ) जाँच करवायें
विशेष :-अस्थमा रोग का इलाज पूर्णतया संभव है अतः चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाई इन्हेलर एवं फेफड़ों की exercise करें
*अस्थमा के इलाज में निम्न भ्रांतियां हैं जिन्हें दूर करनी चाहिए *
1.अस्थमा में इनहेलर लेने से इसकी आदत हो जाती है ये मात्र एक भ्रांति है
- इन्हेलर लेने से बहुत ज़्यादा side effect होते हैं वह फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं ये एक भ्रांति है
*अस्थमा के दौरे के समय क्या करे *
१.सीधे लेटे , शांति से लेटे
२.देरी किए बिना इन्हेलर डॉक्टर की बतायी गई मात्रा अनुसार लेवे
३. 5 minute के लिए रुके अगर कोई सुधार न हो तो दोबारा उतनी ही मात्रा में इनहेलर लें
४.अगर आपको फिर भी राहत ना मिले तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें
फिजीशियन एवं अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कैलाश राहड़ के अनुसार अस्थमा का पूर्णतया इलाज सम्भव है
बदलते मोषम एवं वायु प्रदूषण के चलते अस्थमा रोगी विशेष सावधानी बरतें एवं थोड़ी सी परेशानी होने पर तुरंत इन्हेलर लेवे एवं तक़लीफ़ ज़्यादा होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेंवे
अस्थमा की सबसे कारगर दवा इन्हेलर है इसके बहुत कम side effect है
इससे किसी भी प्रकार की आदत नहीं होती है
इन्हेलर अस्थमा के इलाज का सबसे सुरक्षित एवं सबसे प्रभावी तरीक़ा है