सूरजगढ़ [कृष्ण कुमार गाँधी ] कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था तो भगवान भरोसे ही है जहां पर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यहां मरीज आता तो ठीक होने के लिए है लेकिन उसे क्या पता गंदे व प्रदुषित पानी के उपयोग से वह कई गंभीर बीमारियों को न्यौता दे रहा है। अस्पताल में काम में लिया जाने वाला पानी इतना गंदा व प्रदुषित है वह जिससे काफी बिमारियों का शिकार हो जाता है। अस्पताल के हर वार्ड में होने वाले पानी की सप्लाई उपर लगी हुई टंकियों से कर रखी है जिनसे आने वाला पानी मरीज साफ समझकर उपयोग कर रहा है। लेकिन जब छत पर रखी टंकियों की जांच की गई तों आंखे खुली की खुली रह गई उपर रखी करीब 15 टंकियों में से दस के ढक्कन गायब मिले जब अंदर झांक कर देखा तो उससे भी बुरा हाल शायद लगाने के बाद टंकियों की कभी सफाई हुई ही नही है। पानी में कीड़े मकोड़े तो पड़े ही साथ ही काई व फफूद की इतनी मोटी परतें जमी हुई जिसे देखकर ही उल्टी आने लगे। ऐसी व्यवस्था को देखकर लगता नही की अस्पताल को कोई संभालने वाला है।
– अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे
एक तरफ चिकित्सा विभाग मौसमी बिमारियों को देखते हुए डोर टु डोर अभियान चलाकर लोगों को साफ सफाई के बारे में जागरूक करते हुए आमजन से अपील करता है कि पानी को उबालकर, छानकर पिएं गंदे पानी को जमा नही होने दे, कुलर का पानी बदलते रहे जिससे मौसमी बिमारियों से बचा जा सके लेकिन आमजन को निर्देश देने वाले व मरीज के लिए भगवान का दुसरा रूप इन डॉक्टर का अपने ही अस्पताल के प्रति ऐसा रैवया समझ से परे है। जहां की व्यवस्था देख कर लगता है की डॉक्टर का मरीज के स्वास्थ्य के प्रति कोई उतरदायित्व नही है वो सिर्फ अपनी ड्यूटी करने के लिए आते है और समय पुरा कर चले जाते है। डॉ. अपने केबिन को तो साफ सुथरा रखते है पर अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं पर उनका कोई ध्यान नही है। लगता है अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।