बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं के सन्देश को मिली गतिशीलता
शेखावाटी की धरा ने देश को बहुत कुछ दिया है चाहे वह सर्वाधिक सैनिक हो या उद्योगपति हो इसी क्षेत्र के तीनों जिले सीकर, चूरू, झुंझुनू देश में अपना एक विशेष स्थान रखते है। एक नवाचार आजकल शेखावाटी क्षेत्र से देखने को मिल रहा है, वर्तमान दौर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान बड़े जोर शोर से चल रहा है इसी के चलते इसकी सार्थकता को सिद्ध करता हुआ एक नया अभियान शेखावाटी क्षेत्र से चला है वह है बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकालना। जी हां, यही वह नवाचार है जो शेखावाटी की धरा से पूरे राष्ट्र में जा रहा है। यही वह नवाचार है जो हमारी पुरुष प्रधान संस्कृति को चुनौती दे रहा है। हाल ही में झुंझुनू की निशा खन्ना, रतनगढ़ की प्रियंका सैनी, सीकर के थोई की हंसा भार्गव, आबूसर के बास की मोना जांगिड़ को घोड़ी पर बैठाकर बनौरी निकाली गई। ये तो सिर्फ बानगी मात्र है शादी विवाह के सीजन में शेखावाटी के हर गली मोहल्ले में अब बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बनौरी निकालना आम हो चला है। वो दिन भी दूर नहीं देश में जहा पर लिंगानुपात कम वहा पर भी इस नवाचार को अपनाया जायेगा जिससे समाज को एक सन्देश मिलेगा। इस संबंध में झुंझुनू जिले की की शिक्षा नगरी बगड़ के शिक्षाविद महेंद्र शास्त्री से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बनौरी निकालने से उनके मान सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि हो रही है। साथ ही शैक्षिक क्षेत्र में प्रगति करके बेटियां ऊंचे पदों पर आसीन हो रही हैं। देश की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से उत्कर्ष की ओर है उसमें देश की आधी आबादी काफी महत्वपूर्ण योगदान है। किसी समय में जो मुश्किल सेवा के क्षेत्र समझे जाते थे जैसे सेना इत्यादि इनमें भी आज बेटियां जा रही हैं और अपना और अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है।