सरकार व संगठन का आपसी सामन्जस्य तो माशाल्लाह है
2019 लोकसभा हार के बाद तो कांग्रेस की गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है चाहे बात राष्ट्रिय स्तर के नेताओ की हो या राजस्थान की। 370 हटाये जाने पर भी बहुत से नेता बयानवीर बने कोई पक्ष मे तो कोई विपक्ष में। ऐसे में अंत तक पार्टी अपना स्टेण्ड स्पष्ट नही कर पाई। बात राजस्थान की करें तो यहा पर भी राजनैतिक कब्बडी जारी है। कांग्रेस के दो खेमो में तो आये दिन यही प्रतियोगिता चलती है। बात चाहे एकपद पर एक व्यक्ति की हो या प्रदेशाध्यक्ष के जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन की ये शक्ति प्रदर्शन भाजपा के लिये न होकर दूसरे कांग्रेसी खेमे के लिये ही किया गया था। अभी भी मुख्यमंत्री एंव उपमुख्यमंत्री के सम्बंधो में कोई सुधार नजर नही आता जबकि कांग्रेस आलाकमान की कमलनाथ -सिधिया और गहलोत- पायलेट को आपसी सांमन्जस्य बनाने की विशेष नसीहत है। फिर भी ये गुटबाजी थम नही रही है गाहे बगाहे उभरकर आ रही है। कभी गहलोत के समर्थक पायलट पर तो कभी पायलट के समर्थक गहलोत पर टीका टिप्पणी करने से चूक नही रहे है। सरकार व संगठन का आपसी सामन्जस्य तो माशाल्लाह है। संगठन के पदाधिकारी सरकार के मंत्रियो से ये बात कहने में सकुचा नही रहे। पार्टी की अनुशासन समिति भी चिर निद्रा में नजर आ रही है। क्योकि दोनों ही धड़े मजबूत है और दोनों ही तरफ से अनुशासनहीनता भी देखने को भी मिल रही है। ऐसे में कोई कार्रवाई न होना लाजमी है। यदि हालात ऐसे ही बने रहे हो आने वाले उपचुनावों व निकाय चुनावो में कांग्रेस को नुकसान होना तय है। दूसरी तरफ भाजपा वसुंधरा की निष्क्रियता के बाद कांग्रेस की वनिस्पत एकजुट नजर आ रही है।