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अमर सेनानियों का गौरवशाली इतिहास जहां हमें मातृभूमि के लिए बलिदान का देता है संदेश

सेना दिवस पर विशेष

दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थल सेना की वीरता अदम्य साहस और शौर्य की कुर्बानी की दास्ताँ को बयान करता है। वही  सेना मुख्यालय पर इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है जिन्होंने कभी ना कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिये अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया था । दांतारामगढ़ तहसील क्षेत्र में अमर सेनानियों का गौरवशाली इतिहास जहां हमें मातृभूमि के लिए बलिदान का संदेश देता है वही कर्तव्यपरायणता की सीख भी मिलती हैं। यहां अनेक जातियों में वीर हुए हैं। वीर सैनिक अदम्य साहस वतन की खातिर अपने प्राण न्योछावर करना, शरणागत की रक्षा के लिए शीश कटा सकते हैं लेकिन शीश झुका नहीं सकने वाले वीरों के इतिहास से पता चलता है कि वतन की रक्षा के लिए बचपन से ही घुट्टी पिलाई जाती हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर अब तक इन जाबांज सिपाहियों ने शहादत दी। कुछ सैनिकों का ड्यूटी के दौरान भी आकास्मिक निधन हुआ । अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद सीकर के संरक्षक जालूराम बुरड़क, अध्यक्ष मामराज भूरिया, सचिव रामेश्वर रणवां, कोषाध्यक्ष चैन सिंह व पदाधिकारियों ने बताया कि हमारी इस टीम के द्वारा सैनिकों की समस्या को हल करना व आगे पटल पर रखना मुख्य लक्ष्य हैं। निःस्वार्थ, निर्भीक, निष्पक्ष तरीके से उच्च अधिकारियों को अवगत करवाकर सैनिकों की समस्याओं का निस्तारण व माॅनीटरिंग रखते हैं। सीकर जिले के ड्यूटी के दौरान गुमशुदा सैनिक राजकुमार सिंह ढ़ाका निवासी धोद, गुलजार अली पठान निवासी धोद सन् 1981 से लापता हैं। विक्रम सिंह शेखावत निवासी श्रीमाधोपुर, नायक राजकुमार आदि के केश को प्रोसेज कर रखा है व लगातार न्याय दिलाने के लिए पूरे प्रयास जारी है एवं विक्रम सिंह के मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की गई हैं।

द्वितीय विश्वयुद्ध

स्वतंत्रता सैनानी भोजराज सिंह निवासी भारीजा ने द्वितीय विश्वयुद्ध में सुभाषचंद्र बोस के आह्वान पर देश हित के लिए अंग्रेज़ी सेना के विरुद्ध लड़े व जापान (टोक्यो) की जेलों में यातनाएं सही। इन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया। इनका निधन  28 अगस्त 1992 में हुआ।  द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिक रामदेवा राम मीणा निवासी मंढ़ा ने द्वितीय विश्वयुद्ध में 14 महिनों तक युद्ध लड़ा था। इनका निधन 8 मार्च 2019 में हुआ था।
सवाई मानसिंह गार्ड के कम्पनी कमांडर ठा. मदनसिंह शेखावत निवासी दांता ने द्वितीय विश्वयुद्ध में फौज के साथ तीन वर्षो तक युद्ध लड़ा। इनका निधन 23 दिसंबर 2001 में हुआ। सिपाही रेवतसिंह निवासी भीराणा द्वितीय विश्वयुद्ध में 15 मार्च 1941 में शहीद हुए। राजपूताना रायफल के सिपाही बच्चन सिंह शेखावत  निवासी खंडेलसर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यूरोप में  1945 में शहीद हुए। बिड़दसिंह निवासी बानूड़ा द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सन् 1948 में शहीद हुए।

भारत-चीन युद्ध सन् 1962

जतनसिंह शेखावत निवासी त्रिलोकपुरा भारत-चीन युद्ध में 24 अक्टूबर 1962 में शहीद हुए। सिपाही जतन सिंह निवासी सुरेरा भारत चीन युद्ध में 18 नवम्बर 1962 में शहीद हुए। जीडीएस नानूराम बिजारणियां निवासी अखैपुरा भारत-चीन युद्ध में 18 नवम्बर 1962 में शहीद हुए।

भारत-पाक युद्ध सन् 1971

सिपाही श्याम सिंह निवासी गोवर्धनपुरा भारत-पाक युद्ध में 3 नवम्बर 1971 में शहीद हुए। लांस नायक हरीसिंह निवासी गोपीनाथपुरा भारत-पाक युद्ध में 3 नवंबर 1971 में शहीद हुए। कल्याण सिंह भींचर निवासी  विजयपुरा भारत-पाक युद्ध में आर्मी हॉस्पिटल पर पाकिस्तान की ओर से बम गिराने के कारण 9 दिसंबर 1971 में शहीद हुए थे। भंवरलाल बिजारणियां निवासी मंगरासी भारत-पाक युद्ध में 12 दिसंबर 1971 में शहीद हुए। अगर सिंह निवासी चिड़ासरा भारत-पाक युद्ध में 14 दिसंबर 1971 में शहीद हुए। हवलदार गणपत सिंह शेखावत निवासी कांटिया भारत-पाक युद्ध में 15 दिसंबर 1971 में शहीद हुए । भंवरलाल रावणा निवासी भीमा शांति सेना श्रीलंका में सेवाएं प्रदान करते हुए 4 अगस्त 1988 में शहीद हुए। हवलदार दशरथ सिंह निवासी सांगलिया 22 जनवरी 1989 में शहीद हुए।  रायफल मेन कुलदीप सिंह  निवासी लामियां कश्मीर घाटी में 3 मार्च 1994 में शहीद हुए। पीटीआर हेमा सिंह निठारवाल  निवासी बासड़ीकला ओपी  विजय से पहले कश्मीर घाटी में 20 सितंबर 1997 में शहीद हुए।

कारगिल युद्ध सन् 1999

कारगिल शहीद सीताराम कुमावत निवासी पलसाना 18 ग्रेनेडियर की अपनी टीम के साथ द्रास सेक्टर में दुश्मनों की तीन चौकियों को तबाह किया और चौथी चौकी को तबाह करने के लिए आगे बढ़ा ही रहे थे कि दुश्मन द्वारा दागी गई मिसाइल का शिकार होकर 13 जून 1999 में शहीद हुए। कारगिल शहीद श्योदानाराम बिजारणियां निवासी हरिपुरा  युद्ध में मोस्का पहाड़ी स्थित पाकिस्तान के 15 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन जैसे ही वह सैनिक चौकी पर भारतीय झंडा फहराने की कोशिश कर रहे थे, इसी दौरान दुश्मन के एक आरडी बम के धमाके से श्योदानाराम 7 जुलाई 1999 में शहीद हुए।

ओ.पी. विजय व अन्य 

नायक रिछपाल सिंह गढ़वाल निवासी अखैपुरा नोसेरा सेक्टर में ओपी विजय पराक्रम में 18 मई 2002 में शहीद हुए। कैप्टन सुदेश कुमार वर्मा निवासी रानोली ओपी विजय पराक्रम में  मई 2003 में शहीद हुए। हरीप्रसाद यादव निवासी गुंवारडी ओ.पी रक्षक में 8 मई 2007 में शहीद हुए। बजरंग लाल बेनीवाल निवासी सेसम अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में 21जून 2010 में शहीद हुए। गिरवर सिंह शेखावत निवासी खंडेलसर अजनाला पंजाब में 4 फरवरी 2019 में शहीद हुए। हरदेवाराम भींचर निवासी विजयपुरा जम्मू कश्मीर में 17 मार्च 2019 में शहीद हुए। करणपुरा की सरकारी स्कूल का नाम भी इनके नाम से संचालित हैं। इन शहीदों के अलावा भी ड्यूटी के दौरान महेश बिजारणियां निवासी ठेहट का 17 अगस्त 2017 में, मदन लाल धायल निवासी बाज्यावास का 4 नवम्बर 2017 में, मुकेश कुमार बुरड़क निवासी धीरजपुरा का  15 दिसंबर 2018 को व महिपाल सिंह निवासी बाज्यावास 9 अप्रैल 2020 को व महेन्द्र सिंह शेखावत निवासी जवाहर जी की ढा़णी का 25  मई 2020 को आकास्मिक निधन हुआ।

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