अनुतोष की जगह चुकाये गये प्रतिफल के आधार पर तय की गई अधिकारिता
झुंझुनू, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग झुंझुनूं के अध्यक्ष महेन्द्र शर्मा, सदस्य मनोज मील एवं नीतू सैनी ने संयुक्त रूप से बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत माल और सेवा के लिए परिवादी द्वारा चुकाये गये प्रतिफल के आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग में 50 लाख और राज्य उपभोक्ता आयोग में 2 करोड़ तथा राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में 2 करोड़ से अधिक चुकाये गये प्रतिफल राशि के आधार पर उपभोक्ता आयोग की अधिकारिता ऐसी शिकायतों पर होगी, जिनमें माल और सेवाओं के प्रतिफल के रूप में भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर करने के लिए परिवादी द्वारा मांगे गये अनुतोष के आधार पर अधिकारिता निर्धारित कि हुई थी। जिसके अनुसार 20 लाख रुपये तक के मामले जिला उपभोक्ता आयोग में आते थे। जिससे राज्य व राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग पर मुकदमों का भार भी बढ़ रहा था। उदाहरण के रूप में समझे तो किसी व्यक्ति ने 25 लाख रुपये की बीमा करवाई और उसे उचित लाभ नहीं मिला तो न्याय के लिए उपभोक्ता आयोग में परिवाद करने के लिए राज्य आयोग जाना पड़ता था क्योंकि अधिकारिता अनुतोष पर निर्धारित थी। उन्होंने ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के द्वारा उपभोक्ता आयोग की अधिकारिता परिवादी द्वारा चुकाये गये प्रतिफल पर निर्धारित किए जाने से कोई भी परिवादी जिसने 50 लाख रूपये तक प्रतिफल चुका कर सेवा, माल, वस्तु हासिल की है। वो करोड़ो रूपये के अनुतोष की मांग के लिए भी जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है, बशर्ते प्रतिफल की राशि 50 लाख रुपये तक से अधिक नहीं चुकाई गई है। उन्होंने ने बताया कि केन्द्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने गजट नोटिफिकेशन जारी करके जिला आयोग, राज्य आयोग व राष्ट्रीय आयोग की अधिकारिता में संशोधन कर दिया है और गजट नोटिफिकेशन के अनुसार जिला आयोग की अधिकारिता को पचास लाख रूपये तक कर दिया है। इसके अनुसार जिला आयोग की अधिकारिता ऐसी शिकायतों पर होगी, जिनमें माल और सेवाओं के प्रतिफल के रूप में भुगतान किया गया मूल्य पचास लाख रूपये से अधिक न हो। इसी प्रकार राज्य आयोग की अधिकारिता पचास लाख से दो करोड़ रूपये तथा राष्ट्रीय आयोग की अधिकारिता अब ऐसी शिकायतों पर होगी जिनमें माल व सेवाओं के प्रतिफल के रूप में भुगतान किया गया मूल्य दो करोड़ रूपये से अधिक हो। उन्होंने ने बताया कि केन्द्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के द्वारा प्रकाशित गजट नोटिफिकेशन के सम्बन्ध में राजस्थान राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर ने सभी जिला उपभोक्ता आयोग व चल पीठों को पालना के आदेश जारी कर दिये हैं और परिवादी को चुकाये गये प्रतिफल के आधार पर परिवाद दायर करने का अधिकार मिलने से बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। जिन्हें अनुतोष के आधार पर राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर एवं राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली जाना पड़ता था, उन्हें जिला उपभोक्ता आयोग में स्थानीय स्तर पर ही न्याय मिल सकेगा।