जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक सुराणा ने जारी किए आदेश,
दीपावली पर्व पर ग्रीन आतिशबाजी की रहेगी अनुमति, साइलेंस जोन में नहीं कर सकेंगे आतिशबाजी,
अवैध एवं प्रतिबंधित पटाखों के उत्पादन, परिवहन, बिक्री एवं उपयोग पर होगी कानूनी कार्यवाही,
उपखंड मजिस्ट्रेट तथा तहसीलदार एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट व पुलिस अधिकारियों को उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के दिए निर्देश
चूरू, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के निर्देशानुसार जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक सुराणा ने आदेश जारी कर दीपावली पर्व पर रात्रि 10 बजे से सवेरे 6 बजे तक ध्वनि प्रदूषण करने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है। जिला कलक्टर सुराणा ने बताया कि दीपावली पर्व के अवसर पर जिले में नागरिकों द्वारा रात्रि काल में पटाखे व आतिशबाजी की जाती है, जिसके कारण होने वाले ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण को रोकने हेतु दिये गये दिशा-निर्देशों के अन्तर्गत रात्रि 10 बजे से सवेरे 06 बजे तक ध्वनि प्रदूषण करने वाले पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय व राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, भोपाल द्वारा खतरनाक पटाखों का उपयोग नहीं करने व पटाखों से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु निर्देश पारित किये हैं तथा सभी जिला मजिस्ट्रेट एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट को ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण उपायों एवं ध्वनि के परिपेक्ष्य में परिवेशी वायु गुणवत्ता की पालना कराने हेतु प्राधिकारी घोषित किया गया है।
उन्होंने बताया कि गृह विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार एनसीआर क्षेत्र में आतिशबाजी को बेचने व चलाने पर प्रतिबन्ध रहेगा। एनसीआर क्षेत्र को छोड़ते हुए सम्पूर्ण राजस्थान में केवल ग्रीन आतिशबाजी के बेचने की अनुमति है। ग्रीन आतिशबाजी की पहचान प्रत्येक आतिशबाजी के बॉक्स पर नीरी द्वारा किये गये क्यूआर कोड को स्कैन करके की जा सकती है। उन्होंने बताया कि एयर क्वालिटी इंडेक्स “पुअर” या उससे खराब वाले शहरों में आतिशबाजी चलाने पर रोक रहेगी। एयर क्वालिटी इंडेक्स आम जन एवं प्रवर्तन एजेंसी द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट से ज्ञात की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि पटाखों एवं आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार किसी भी व्यक्ति को त्यौहार के नाम पर प्रतिबंधित पटाखे चलाकर किसी दूसरे नागरिक के स्वास्थ्य को प्रभावित करने का अधिकार नहीं है। किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरों के जीवन/स्वास्थ्य को खतरे में डाले। विशेषकर बुजुर्ग एवं बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति किसी को भी नहीं दी जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बेरियम सॉल्ट जैसे प्रतिबंधित केमिकल वाले पटाखों पर प्रतिबंध है। ऎसे प्रतिबंधित पटाखों का उत्पादन, परिवहन, बिक्री एवं उपयोग पर पाबंदी रहेगी। अवैध एवं प्रतिबंधित केमिकल पटाखों के इस्तेमाल पर भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। सभी प्रकार के पटाखों की ऑनलाईन बिक्री करने पर भी कानूनी कार्यवाही होगी। ग्रीन पटाखों की आड़ में प्रतिबंधित रसायनों से बने पटाखों का निर्माण कर गलत लेबल चिपकाकर बिक्री एवं उपयोग किया जाता है। पैकेट पर क्यूआर कोड के लेबल में भी धोखाधड़ी की जाती है। इस अवहेलना/लापरवाही को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा तथा जिम्मेदार एजेंसियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने बताया कि प्रतिबंध के बावजूद दीपावली के आस-पास रात्रि काल में पटाखे चलाने एवं आतिशबाजी के फलस्वरूप ध्वनि एवं वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की शिकायतें सामने आती हैं। इस दीपावली पर ऎसी शिकायतों की स्थिति नहीं बने, यह सुनिश्चित करना अति-आवश्यक है। साथ ही सुनिश्चित किया जावे कि शांत क्षेत्र ( साइलेंस जोन ) यथा अस्पताल, नर्सिंग होम, प्राथमिक एवं जिला स्वास्थ्य केन्द्र, शिक्षण संस्थाएं, न्यायालय, धार्मिक स्थानों से 100 मीटर के क्षेत्र में पटाखे ( फायरवक्र्स) नहीं चलाए जाएं।
इसी के साथ शादी-विवाहों व त्यौंहारों के अवसर पर स्थायी आतिशबाजी अनुज्ञापत्रधारियों व अस्थायी आतिशबाजी अनुज्ञापत्रधारियों के अलावा जनरल स्टोर, परचून के सामान की दुकानों, रेडिमेड कपड़े की दुकानों व अन्य साज-सजा की दुकानों पर सामान के साथ अवैध रूप से पटाखों की बिक्री की जाती है। जिसके कारण अनहोनी घटना घटित होने की आशंका हमेशा बनी रहती है व विस्फोटक अधिनियम/नियमों का उल्लंघन किया जाता है। आतिशबाजी की इस अवैध बिक्री को रोकने हेतु तलाशी और अभिग्रहण की शक्तियां विस्फोटक नियम, 2008 के नियम 128 में विस्तार से वर्णित की हुई हैं। कार्यवाही हेतु प्राधिकृत अधिकारी/मजिस्ट्रेट के बारे में नियम 128 (घ) में उल्लेख है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट, जिला मजिस्ट्रेट के अधीनस्थ सभी कार्यपालक मजिस्ट्रेट, सभी पुलिस आयुक्त या पुलिस उप निरीक्षक से अग्रिम पंक्ति के पुलिस अधिकारी व खान महा निदेशक और उसके अधीनस्थ अधिकारी इसके लिए सक्षम हैं।
उन्होंने जिले में कार्यरत समस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेटों, तहसीलदार एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेटों व पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अपने-अपने अधिकारिता क्षेत्र में जांच/तलाशी करें व विस्फोटक नियमों का उल्लंघन करते पाया जाने पर नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही करना सुनिश्चित करें तथा साथ ही ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण फैलाने वाले नागरिकों के विरूद्ध नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही करवाया जाना सुनिश्चित करें।