सूरजगढ़, गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में विदेशी धरती पर जन्म लेकर भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाली क्रांतिकारी महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष, पद्म विभूषण से सम्मानित महान सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी नेल्ली सेनगुप्त की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। सभा में क्रांतिकारी महिला नेल्ली सेनगुप्त के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भारत की आजादी में नेल्ली सेनगुप्त के योगदान और उनके जीवन संघर्ष को याद करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- नेल्ली सेनगुप्त आजादी से पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वाली तीसरी महिला थी। उनसे पूर्व यह पद 1917 में एनी बेसेंट और 1925 में सरोजिनी नायडू ने सुशोभित किया था। नेल्ली सेनगुप्त को 1933 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया था। नेल्ली सेनगुप्त को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने और क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। वे महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले भारतीय स्वतंत्रता सेनानी बैरिस्टर यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त की पत्नी थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली नेल्ली सेनगुप्त का जन्म 12 जनवरी 1886 को कैंब्रिज, इंग्लैंड में हुआ था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात कानून की पढ़ाई कर रहे चटगांव के भारतीय क्रांतिकारी छात्र यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त से हुई।
1909 में शादी करके नेल्ली सेनगुप्त अपने पति के साथ चटगांव भारत आ गई। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में जब देश में स्वतंत्रता आंदोलन तेज हुआ तो यतींद्र मोहन सेनगुप्त भी आंदोलन में कूद पड़े। नेल्ली सेनगुप्त ने भी सुख सुविधा का जीवन त्याग कर स्वाधीनता आंदोलन में अपने पति का साथ दिया। आजादी के आंदोलन में भाग लेने की वजह से नेल्ली सेनगुप्त को कई बार जेल जाना पड़ा। 22 जुलाई 1933 को रांची जेल में पति यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त का निधन हो गया। पति के निधन के बाद भी नेल्ली सेनगुप्त ने हिम्मत नहीं हारी। अपने देश वापस लौटने की बजाय भारत की आजादी के लिए निरंतर संघर्ष करती रही। वे 1940 और 1946 में निर्विरोध बंगाल असेंबली की सदस्य चुनी गई। नेल्ली सेनगुप्त उन अंग्रेज महिलाओं में से एक थी, जिन्होंने भारत के लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित किया। एक विदेशी महिला होते हुए भी उन्होंने खुद को एक सच्चे भारतीय देशभक्त के रूप में साबित किया। वह सभी सर्वोत्तम गुणों का एक द्वितीय संयोजन थीं। वह एक समर्पित पत्नी, एक संत माँ और एक सक्रिय राजनीतिक नेता थी। वह उन्नीसवीं सदी के पुनर्जागरण की वास्तविक प्रतिनिधि थी। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 23 अक्टूबर 1973 को कलकत्ता में महान क्रांतिकारी महिला नेल्ली सेनगुप्त का निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने कहा था, ‘इंग्लैंड में जन्म लेने के बावजूद, यह उनकी व्यक्तिगत निष्ठा, भारतीय समाज की सेवा और साहस का ही परिणाम था कि संकट के समय में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष जैसा जिम्मेदारी का पद दिया गया था।’ भारत सरकार द्वारा सन 1985 में यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त और उनकी पत्नी नेल्ली सेनगुप्त के सम्मान में संयुक्त रूप से एक डाक टिकट जारी किया। श्रद्धांजलि सभा में पूर्व पंचायत समिति सदस्य चाँदकौर, धर्मपाल गाँधी, समाजसेवी इंद्र सिंह शिल्ला भोबिया, राजेंद्र कुमार गांधी, शिक्षाविद् अशोक कुमार शिल्ला, भतेरी, सुनील गांधी, सोनू कुमारी, अंजू गांधी, पिंकी नारनोलिया, दिनेश, रवि कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।