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श्री जेजेटी विश्वविद्यालय मे दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न

झुंझुनूं, चुड़ेला स्थित श्री जगदीश प्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला विश्वविद्यालय के भाषा संस्थान द्वारा ‘‘जी 20 मुद्दे: रोजगार, लिंग, शिक्षा, कौशल, वैश्विक स्वास्थ्य और सामाजिक नीतियाँ’’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सरस्वती माँ की वंदना के साथ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार डाॅ. मघु गुप्ता ने सभी को शुभकामनाएँ देते हुए वैश्विक सम्मेलन का शुभारंभ करवाया। इस अवसर पर सम्मेलन संयोजिका डॉ. अंशू शर्मा ने सभी मुख्य वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के बारे में बताया प्रथम दिवस मुख्य वक्ता प्रो. राम शर्मा, प्रिसिंपल श्री सुदृष्टि बाबा पीजी काॅलेज, सुदिस्तपुरी, रानीगंज बलिया (उ.प्र.) ने जी 20 से जुड़े विभिन्न मुद्दों की तरफ सभी का ध्यानाकर्षण करवाया।प्रमुख वक्ता डाॅ. जुगल किशोर दाधिच, एसोसिएट प्रोफेसर, गांधीयन एवं शांति अध्ययन विभाग, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार रहे। द्वितीय मुख्यवक्ता डाॅ. जुगल किशोर दाधिच ने अपने वक्तव्य में बताया कि ‘‘जी 20 के अंदर भारत की भूमिका क्या रहेगी तथा भारत जी 20 के माध्यम से बदलते वैश्विक परिदृश्य में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाने के साथ-साथ प्रमुख लोकतांत्रिक देशों में महत्वपूर्ण भूमिका की तरफ आगे बढ़ रहा है। प्राचीन भारतीय संस्कृति से जुड़े नैतिक मूल्यों के साथ विकास की संभावनाऐं ओर ज्यादा बढ़ जाती है। विश्व भारत को सतत विकास पर कार्य करने के लिए देख रहा है। जी 20 में भारत के पास विश्वगुरू के रुप में स्थापित होने का सुनहरा अवसर है।’’

तृतीय मुख्य वक्ता जोई फ्रीमेन, टीचर, ट्रेनर एण्ड लर्निंग मैनेजर लंदन (यूके) एण्ड वर्तमान में आस्ट्रेलिया से रहे। जोई फ्रीमैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘‘जी 20 की प्राथमिकताओं में कौशल विकास शामिल है। कौशल प्रशिक्षण से आत्मनिर्भरता आती है। नये कौशल सीखने से ही नये कार्य स्थापित किये जा सकते है। योग्यता का विकास करने के लिए कोई उम्र नहीं होती है। शिक्षा से समाज का विकास और समाज के विकास से राष्ट्र का विकास संभव है। आज व्यक्ति को कम से कम दो भाषाओं का ज्ञान होना भी आवश्यक है।’’ डाॅ. हिमांशु खिड़िया ने जोई फ्रीमेन के इस सम्मेलन में जुड़ने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।
दूसरे दिवस के प्रमुख वक्ता डाॅ. जितेन्द्र भीमराव बागुल, सह आचार्य, अंग्रेजी विभाग, विद्या विकास मण्डल कला और वाणिज्य महाविद्यालय अक्कालकुआ, महाराष्ट्र ने साहित्य के क्षेत्र में लैंगिक समानता और नारी के अधिकारों पर अपने विचार प्रकट किये और दूसरे प्रमुख वक्ता डाॅ अक्सेंड्रो मैक्सीमिलन, सह आचार्य और विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग, एस.टी.के.आईपी. पी.जी.आर.आईबंदर लैम्पुंग, इण्डोनेशिया ने शिक्षा में तकनीकि सिद्धान्तों के प्रदेय पर अपने विचार प्रकट किए।
रजिस्ट्रार महोदया डॉ. मधु गुप्ता ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 316 प्रतिभागियों ने भाग लिया और 106 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। योगi विभाग (एमए अंतिम वर्ष) के 24 विद्यार्थियों ने भी अपने शोध पत्रों का वाचन भी किया।उन्होंने प्रतिभागियों को बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने सम्मेलन संयोजिका डॉ. अंशू शर्मा और भाषा संस्थान के सभी सदस्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की और इस सम्मेलन की सफलता पर उन्हें बधाई भी दी। इस वैश्विक सम्मेलन के संयोजिका अंग्रेजी विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. अंशु शर्मा थी।तकनीकी सत्र का संचालन सम्मेलन समन्वयक डॉ. नाज़िया हुसैन ने किया ।इस काँफ्रंेस में भाषा संस्थान के संकाय सदस्य हिन्दी विभाग से डाॅ. संजू सांगवान, सहायक आचार्य डाॅ. बिकेश सिंह, डाॅ. हिमांशु खिड़िया, संस्कृत विभाग से डाॅ. रविन्द्र कुमार भोजक व अन्य उपस्थित थे।

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