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करीब 50 घरों की बस्ती में एक हजार वर्षों से मनाया जा रहा है अनूठा दशहरा

करीब 15 घंटे होता है चेहरों का नृत्य

दो दिवसीय महोत्सव में पूरा गांव होता है शामिल

दांतारामगढ़, [प्रदीप सैनी ] दांतारामगढ़ उपखंड मुख्यालय के पास ही करीब 50 घरों की बस्ती वाले धोलासरी गांव में करीब एक हजार वर्षों से अनूठा दशहरा महोत्सव मनाया जा रहा हैं। दो दिवसीय दशहरा महोत्सव में करीब 15 घंटे तक चेहरों का नृत्य होता हैं। दांतारामगढ़ कस्बे के बिल्कुल नजदीक करीब 500 लोगों की आबादी का गांव है धोलासरी। यह ग्राम पंचायत मुख्यालय है जहां करीब 1000 वर्षों से दशहरा महोत्सव का अनूठा आयोजन किया जाता हैं। दशमी की रात को करीब 9 बजे विभिन्न अवतारों के मुखोटे लगाकर चेहरे तैयार होते हैं जो ढोल नगाड़ों की आवाज पर पूरी रात गांव के मुख्य चौक में नाचते हैं। चेहरों का यह नृत्य करीब 15 घंटे तक अनवरत जारी रहता है और दूसरे दिन एकादशी को दोपहर 2 बजे तक चेहरे नचाए जाते हैं। एकादशी की सुबह वराह अवतार व नृसिंह अवतार की झांकी तैयार कर धोलासरी के अलावा आस-पास के गांव में भी उसका नृत्य करवाया जाता हैं। धोलासरी गांव में दशमी को रावण दहन की बजाए रावण का वध किया गया। राम, लक्ष्मण बने दो बालको ने हनुमानजी के कंधे पर बैठ कर तीर कमान से रावण का वध किया। इसी के साथ धोलासरी गांव में वर्षों पूर्व तपस्या करने वाले भागूदास बाबा की खड़ाऊ की पूजा की और गांव में जश्न मनाया गया। इस दौरान धोलासरी गांव के अलावा आसपास के गांव के लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

दशहरा महोत्सव के दौरान गांव में आकर्षक रोशनी की जाती है व मुख्य चौक को सजाया जाता हैं। महोत्सव के दौरान सभी प्रवासी एवं बहन बेटियां भी इस मौके पर अपने गांव आती हैं और परिवार के साथ पूरी रात चेहरों का नृत्य एवं रावण का वध देखते हैं। इसमें अधिकांश गांव के लोग ही किरदार निभाते हैं अब कुछ कलाकारों को बाहर से भी बुलातें है। गांव के ही पवन कुमार शर्मा एवं विजय कुमार चाहर ने बताया कि यह परंपरा करीब 1000 वर्षों से चली आ रही हैं।

12 महीनों से घर आते हैं भगवान

एकादशी के दिन वराह अवतार एवं नृसिंह अवतार की झांकियां धोलासरी के अलावा आसपास के गांव व ढ़ाणियों में जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि 12 महीनों बाद भगवान उनके घर आए हैं सभी लोग घर पर उनका स्वागत करते हैं। गांव के लोगों ने बताया कि गांव के बाहर वराह अवतार की झांकी ही अन्य गांव में जाती है। जबकि गांव में वराह व नरसिंह अवतार की दोनों झांकियां घर-घर जाती हैं।

कोलकाता से मंगवाए मुखोटे

धोलासरी गांव में चेहरों का नृत्य काफी वर्षों से चला आ रहा हैं।अब नए मुखड़े इसी वर्ष कोलकाता से मंगवाए गए हैं।गांव के विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि अंगद, नल, नील सुग्रीव आदि करीब 12 मुखोटे (चेहरे) इस बार कोलकाता से मंगवाए गए हैं।

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