श्री जेजेटी यूनिवर्सिटी विद्या नगरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस
झुंझुनू, श्री जेजेटी यूनिवर्सिटी विद्या नगरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “कृष्ण प्रेममयी राधा, राधा प्रेममयी हरि” भजन श्रवण से कथा की शुरुआत की। कथा में यजमान के रूप में जेजेटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति विनोद टीबड़ेवाला , बालकृष्ण टीबड़ेवाला , रमाकांत टीबड़ेवाला , हनुमान प्रसाद , विशाल टीबड़ेवाला , ओम गोयंका उमा देवी ने भाग लिया। कथा में महाराज श्री ने कहां भगवान जब किसी जीव पर विशेष कृपा करते हैं तब भगवान उसे सत्संग प्रदान करते हैं। मनुष्य जितना सुन्दर अपनी क्षेत्रीय वेशभूषा को पहनकर लगता है उतना सुंदर किसी और वेशभूषा में नहीं लगता है। आज कल पुरुष महिलाएं छोटे कपड़े पहनकर नंगे तो दिख सकते हैं पर सुन्दर नहीं। अगर तुम किसी की नक़ल कर रहे हो तो तुम श्रेष्ठ नहीं हो तुम श्रेष्ठ तब हो जब कोई तुम्हारी नक़ल करे।अगर आप मोबाइल का ग़लत उपयोग कर रहे हैं तो ये मोबाइल कैंसर से भी बड़ी बिमारी है। अगर आप इसे सावधानी से इस्तेमाल करोगे तो आपके कई प्रश्नों का उत्तर दे सकता है। इसलिए इसका उपयोग करें दुरूपयोग नहीं साधु संत गलत लोगों के लिए ही होते हैं क्यूंकि जो मनुष्य अच्छे हैं वो तो अच्छे हैं और जो गलत लोगों को भी अच्छा बना दें वो ही संत हैंउसकी मदद करते हैं और सोचिए अगर मनुष्य हर समय भगवान का लें तो सोचिये भगवान उसके कितनी मदद करेंगे। उस समय आपको भगवान से मांगने की भी ज़रुरत नहीं पड़ेगी, भगवान बिना मांगे भी आपको सब कुछ दे देंगे।
देवकीनंदन ठाकुर ने श्रीमद्भागवत कथा चतुर्थ दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। महाबली प्रहलाद का पौत्र और विरोचना का पुत्र था। महाबली एक महान शासक था जिसे उसकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी। उसके राज्य में प्रजा बहुत खुश और समृद्ध थी। उसको उसके पितामह प्रहलाद और गुरु शुक्राचार्य ने वेदों का ज्ञान दिया था। समुद्रमंथन के दौरान जब देवता अमृत ले जा रहे थे तब इंद्रदेव ने बाली को मार दिया था जिसको शुक्राचार्य ने पुनः अपन मन्त्रो से जीवित कर दिया था। महाबली ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप भगवान ब्रह्मा ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। बाली भगवान ब्रह्मा के आगे नतमस्तक होकर बोला “प्रभु, मै इस संसार को दिखाना चाहता हूँ कि असुर अच्छे भी होते हैं। मुझे इंद्र के बराबर शक्ति चाहिए और मुझे युद्ध में कोई पराजित ना कर सके।” भगवान ब्रह्मा ने इन शक्तियों के लिए उसे उपयुक्त मानकर बिना प्रश्न किये उसे वरदान दे दिया। शुक्राचार्य एक अच्छे गुरु और रणनीतिकार थे जिनकी मदद से बाली ने तीनो लोकों पर विजय प्राप्त कर ली। बाली ने इंद्रदेव को पराजित कर इंद्रलोक पर कब्जा कर लिया। एक दिन गुरु शुक्राचार्य ने बाली से कहा अगर तुम सदैव के लिए तीनो लोकों के स्वामी रहना चाहते हो तो तुम्हारे जैसे राजा को अश्वमेध यज्ञ अवश्य करना चाहिए। बाली अपने गुरु की आज्ञा मानते हुए यज्ञ की तैयारी में लग गया। बाली एक उदार राजा था जिसे सारी प्रजा पसंद करती थी। इंद्र को ऐसा महसूस होने लगा कि बाली अगर ऐसे ही प्रजापालक रहेगा तो शीघ्र सारे देवता भी बाली की तरफ हो जायेंगे। महाबली ने कहा कि आज वो किसी भी व्यक्ति को कोई भी दक्षिणा दे सकता है। तभी गुरु शुक्राचार्य महाबली को महल के भीतर ले गये और उसे बताया कि ये बालक ओर कोई नहीं स्वयं भगवान विष्णु हैं वो इंद्रदेव के कहने पर यहाँ आए हैं और अगर तुमने इन्हें जो भी मांगने को कहा तो तुम सब कुछ खो दोगे। महाबली अपनी बात पर अटल रहे और कहा मुझे वैभव खोने का भय नहीं है बल्कि अपन प्रभु को खोने का है इसलिए मै उनकी इच्छा पूरी करूंगा। महाबली उस बालक के पास गया और स्नेह से कहा “आप अपनी इच्छा बताइये”। उस बालक ने महाबली की और शांत स्वभाव से देखा और कहा “मुझे केवल तीन पग जमीन चाहिए जिसे मैं अपने पैरों से नाप सकूं”। महाबली ने हँसते हुए कहा “केवल तीन पग जमीन चाहिए, मैं तुमको दूँगा।” जैसे ही महाबली ने अपने मुँह से ये शब्द निकाले वामन का आकार धीरे धीरे बढ़ता गया। वो बालक इतना बढ़ा हो गया कि बाली केवल उसके पैरों को देख सकता था। वामन आकार में इतना बढ़ा था कि धरती को उसने अपने एक पग में माप लिया। दुसरे पग में उस दिव्य बालक ने पूरा आकाश नाप लिया। अब उस बालक ने महाबली को बुलाया और कहा मैंने अपने दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया है। अब मुझे अपना तीसरा कदम रखने के लिए कोई जगह नहीं बची, तुम बताओ मैं अपना तीसरा कदम कहाँ रखूँ।
महाबली ने उस बालक से कहा “प्रभु, मैं वचन तोड़ने वालों में से नहीं हूँ आप तीसरा कदम मेरे शीश पर रखिये।”
भगवान विष्णु ने भी मुस्कुराते हुए अपना तीसरा कदम महाबली के सिर पर रख दिया। वामन के तीसरे कदम की शक्ति से महाबली पाताल लोक में चला गया। अब महाबली का तीनो लोकों से वैभव समाप्त हो गया और सदैव पाताल लोक में रह गया। इंद्रदेव और अन्य देवताओं ने भगवान विष्णु के इस अवतार की प्रशंशा की और अपना साम्राज्य दिलाने के लिए धन्यवाद दिया। इसके बाद पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में सभी भक्तों ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया। श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर भगवान कृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा। इस अवसर पर जेजेटी प्रेसिडेंट बालकिशन टीबड़ेवाला प्रेमलता रजिस्ट्रार डॉ मधु गुप्ता डॉ अंजू सिंह डॉअनिल कड़वासरा डॉ नरेश सोनी पीआरओ रामनिवास सोनी डॉ सागर कछुआ सहित गणमान्य लोग व महिलाएं मौजूद थी।