प्रख्यात लेखक-पत्रकार तथा पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति चूरू में
चूरू, प्रख्यात लेखक-पत्रकार तथा हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी रविवार को चूरू के सूचना केंद्र में प्रयास संस्थान की ओर से आयोजित ‘मुलाकात’ कार्यक्रम में लोगों से रूबरू हुए और अपने जीवन तथा सृजन यात्रा से जुड़े विभिन्न पहलू साझा करते हुए देश की वर्तमान परिस्थितियों पर बेबाकी से अपनी राय जाहिर की। साक्षात्कारकर्ता उम्मेद गोठवाल से बातचीत में उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई, बाल्यकाल, पत्रकारिता, लेखन से जुड़े अनुभवों पर विस्तार से चर्चा की और पत्रकारिता, साहित्य, समाज और राजनीति की वर्तमान दशा-दिशा पर खुलकर विचार व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने लोगों के सवालों के भी जवाब दिए। थानवी ने बताया कि उन्होंने अपनी पढाई कॉमर्स संकाय से की लेकिन उनके घर के अनुकूल वातावरण से साहित्य और पत्रकारिता से उनका जुड़ाव हुआ तथा पिता शिवरतन थानवी ने उन्हें सोचने का एक नया ढंग दिया। पत्रकारिता की दशा-दिशा पर चर्चा करते हुए थानवी ने कहा कि मीडिया का काम समाज को सही जानकारी देना है, यदि वह किसी झूठ को गढता है या गढने में मदद करता है तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया समाज में अच्छे-बुरे दोनों ही ढंग से बड़ी भूमिका निभा रहा है लेकिन सोशल मीडिया को पत्रकारिता कहना ठीक नहीं है क्योंकि यहां आपको जो अच्छा लगता है आप लिखते हैं, कोई इसका संपादन नहीं करता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को किसी विचारधारा विशेष का टूल नहीं बनना चाहिए, उसे समाज के हित में अपनी काम करना चाहिए और सच्चाई से लोगों को रूबरू कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया भी समाज का ही अंग है और उसे देश समाज से जुड़े मसलों पर संवेदनशील होना चाहिए और अच्छे बुरे की समझ के साथ अपना काम करना चाहिए। थानवी ने आतंकवाद, नक्सलवाद, नागरिकता कानून समेत देश की विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि देश के वर्तमान परिदृश्य को निराशाजनक बताते हुए भी उम्मीद जताई कि आने वाले समय में तस्वीर बदलेगी और निश्चित तौर पर कुछ अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि भारत में शांति एवं सहिष्णुता की एक सशक्त परम्परा रही है और हमें देश को किसी व्यक्ति विशेष के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी वर्ग या धर्म विशेष के लोगों को आतंकवादी कहना उचित नहीं है और यदि हमारा कोई नागरिक आतंकवादी बनता है तो हमें उसके पीछे की वजहों पर गंभीरता और संवेदनशीलता से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से महीनों से कश्मीर में लोगों को नजरबंद रखा जा रहा है और लोगों को घुटन भरे माहौल में रखा जा रहा है तो फिर हम क्यों उम्मीद करें कि वहां की आने वाली पीढ़ी हमारे लिए अच्छा सोचने वाली होगी। रियाजत खान, माधव शर्मा, जमील चौहान, शिवकुमार शर्मा, मधुप, राधेश्याम कटारिया, प्रो. एच आर इसराण आदि ने शॉल ओढाकर एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर थानवी का सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन कमल शर्मा ने किया। प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने आभार जताया। इस दौरान प्रख्यात चित्रकार रामकिशन अडिग, विकास मील, नितिन बजाज, सुरेश लांबा, दिलीप सरावग, प्रो. अनुज बसेर, नदीम खान, कुलदीप शर्मा, एडवोकेट हीरालाल, बुधमल सैनी, भंवर लाल कस्वां, मोहन लाल अर्जुन, मंगल व्यास भारती, नरेंद्र शर्मा, शिशपाल बुडानिया, अशोक डूडी, डॉ कृष्णा जाखड़, सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, चिंतक, पत्रकार, साहित्यप्रेमी एवं गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।