रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] एक दशक पहले आखातीज पर होने वाली पतंगबाजी अब क्षेत्र में मकर संक्रांति पर होने लगी है। इस दिन बच्चों से बूढ़ों तक एवं युवतियों से लेकर महिलाओं तक सभी वर्ग के लोग पतंगबाजी का लुफ्त उठाते हैं। जनपद में इस बार पतंगबाजी को लेकर उत्साह तो बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि इस दफा व्यापार कम है। पतंगबाजी को राज्य सरकार द्वारा समय में बांधने पर लोगों ने बताया कि यह केवल मनोरंजन का साधन है, इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। पतंगबाजी का लुफ्त सभी वर्ग के लोग उठाते हैं और बच्चों का यह सबसे अधिक पसंदीदा त्योंहार है। चायनीज मांझे को लेकर लोगों ने कहा कि इस धागे की ऑनलाइन बिक्री के लिए सरकार ने छूट दे रखी है, जबकि छोटे व्यापारियों पर प्रशासन कार्रवाई कर रहा है, जो न्याय संगत नहीं है। मकर संक्रांति पर शहर के बाजारों से लोगों की भीड़ नदारद रहती है और पूरा शहर छतों पर आ जाता है। म्यूजिक सिस्टम पर बजने वाले तरानों के बीच मकर संक्रांति पर बे काटा की आवाजें सुनाई देती है। सुबह से शाम तक लोग छतों पर रहते हैं और पतंगबाजी का जमकर लुफ्त उठाते हैं।