झुंझुनूताजा खबरविशेषवीडियो

Video News – कलयुगी मां ने छोड़ दिया नवजात बच्ची को सब्जी की रेहड़ी पर लावारिस

गंभीर हालत में कराया अस्पताल में भर्ती, सर्द रात एक चद्दर में गुजारी नवजात बच्ची ने

डॉ. वीडी बाजिया ने बताया कि दो-तीन घंटे और बिताती, तो जा सकती थी जान वही दो दिन पहले जन्मीं बताई जा रही है बच्ची

झुंझुनूं, झुंझुनूं में आज एक निर्दयी मां अपनी नवजात बच्ची को ठिठुरती सर्दी की रात में लावारिस हालत में छोड़ गई। यदि दो-तीन घंटे और इसकी कोई सुध नहीं लेता तो बच्ची की आंखे ठीक से खुलने से पहले ही हमेशा के लिए बंद हो जाती । मामला झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल के गेट नंबर दो का है जहा पर आज सुबह करीब साढ़े सात बजे सब्जी की रेहड़ी पर एक नवजात बच्ची लावारिस हालत में मिली। सब्जी रेहड़ी के मालिक मोहम्मद जावेद राइन रोज की तरह अपनी रेहड़ी को लगाने के लिए पहुंचा तो उसकी रेहड़ी पर एक कपड़ा पड़ा हुआ था। जिसे देखा तो उसमें उसे बच्ची दिखी। जो जगी हुई थी। पर शांत थी। लेकिन कपड़ा हटाते ही जब जावेद ने इसे गोद में लिया तो वो रोने लग गई। जावेद ने बिना कोई देर किए इस बच्ची को बीडीके अस्पताल की एमरजेंसी में ले गया। जहां पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र भांबू ने इसे संभाला। इसके बाद पीएमओ व वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वीडी बाजिया भी पहुंचे। डॉ. बाजिया और भांबू ने बताया कि बच्ची की हालत बेहद चिंताजनक है। जिसे एसएनसीयू में आक्सीजन पर रखा गया है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि यदि बच्ची दो-चार घंटे और बाहर रहती तो इसकी जान भी जा सकती थी। उन्होंने बताया कि बच्ची को स्वस्थ करने के लिए पूरी एक टीम लगा दी गई है। इधर, जावेद ने आक्रोश भरे लहजे में बच्ची के मां-बाप को कड़ी सजा देने की मांग की है। डॉ. वीडी बाजिया ने बताया कि बच्ची की हालत बेहद गंभीर है। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक बच्ची का जन्म सात माह में ही हो गया। यानि कि यह प्री मेच्योर डिलवरी है। इसके अलावा किसी अस्पताल में दो दिन पहले इस बच्ची ने जन्म लिया है। इसका वजन ए​क किलो 400 ग्राम है। जो सामान्य वजन से करीब एक किलो कम है। वहीं शुगर भी कम है। इस कारण एक तरह से बच्ची सुस्त है। इसके साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस सब्जी की रेहड़ी पर बच्ची को छोड़ा गया है। उससे पालना गृह महज 100 मीटर की दूरी पर है। अनचाहे बच्चों को लावारिस ना छोड़ने की बजाय पालना गृह में छोड़ने के लिए कई बार अपील की गई है। लेकिन करीब साढ़े पांच साल पहले जून 2016 में स्थापित बीडीके के पालना गृह में अब तक केवल एक बच्चा छोड़ा गया है। 23 अप्रेल 2019 को रात आठ बजे एक व्यक्ति पालना गृह में बच्चा छोड़कर चला गया था। कहते है किस्मत में जिंदगी लिखी हो तो कोई नहीं मार सकता। यह बात इस बच्ची के साथ भी सटीक बैठती है। सर्द रात में जहां कमरे में कंबल ओढ़ने पर सर्दी नहीं रूकती और हम धुजते रहते है। उस सर्द रात में यह बच्ची महज एक पतली चद्दर के सहारे बिताती रही। वहीं सब्जी विक्रेता जावेद ने बताया कि उनकी रेहड़ियों के पास जानवर भी घूमते रहते है। लेकिन बच्ची की किस्मत थी कि कुत्तें आदि जानवरों को यह दिखाई नहीं दी। इधर, चिकित्सकों ने भी यही कहा है कि जिस तरह से बच्ची की हालत है। यदि दो-तीन घंटे और बाहर रहती तो शायद ही जिन्दी बच पाती।

Related Articles

Back to top button