छोड़ो कल की बातें नए दौर में लिखेंगे हम मिलकर नई कहानी
सास भी कभी बहू थी इसलिए सास को भी लगा की बहू को बहु नहीं समझ कर बेटी समझना चाहिए और कर दिया नवाचार
बुहाना, [रजनीश जांगिड़ ] जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार हुआ है समाज की रूढ़िवादी परंपराएं भी अब दरकनी शुरू हो चुकी हैं। बेटे और बेटी में फर्क करने की बात तो अब पुरानी हो चली है। वही शेखावाटी क्षेत्र में बेटियों को बेटों की तरह घोड़ी पर बैठा कर बिंदोरी निकालना भी कोई अब नई बात नहीं रही। लेकिन बेटी और बहू में अंतर हमेशा से किया जाता रहा है। लेकिन अब समाज की सोच लगातार बदलती जा रही है जिसके चलते अब बहू को भी बेटी से कम नहीं समझा जा रहा है। इसकी बानगी झुंझुनू जिले के बुहाना क्षेत्र के जगनस्वरूप महाराज की तपोस्थली खान्दवा गांव के एसआई रामकिशन यादव के पुत्र रामवीर की शादी के बाद देखने को मिली। आपको बता दें कि रामकिशन यादव के पुत्र रामवीर की शादी 5 फरवरी को थी जो कि रामवीर बहरोड़ तहसील के खुवाना बगवाड़ी से इंशा यादव से ₹1 नारियल लेकर शादी करके रविवार को वधु को अपने घर पर लाया। इस अवसर पर सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनिया भी मौजूद थे। वहां पर एक सास ने बहू का इस प्रकार से स्वागत किया जो जन चर्चा का विषय तो बन गया ही और उस अवसर पर उपस्थित हर व्यक्ति सुखद आश्चर्य हुआ। वधु के पहली बार घर पहुंचने पर सास कृष्णा देवी ने वधू ईशा का मुंह दिखाई में ब्रेजा गाड़ी की चाबी थमा दी। जिसकी हर किसी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। विधायक सुभाष पूनिया ने कहा कि खान्दवा गांव में बाबा जगन स्वरूप धौलिया के तप से हर आदमी संस्कारवान है। आज जरूरत है कृष्णा यादव जैसी सोच कि जो बहू को बेटी मानकर मुंह दिखाई में कार उन्होंने दी है और लड़के की शादी में इन्होंने किसी भी प्रकार का दहेज नहीं लिया बल्कि शगुन के रूप में ₹1 और नारियल लिया। वहीं विधायक ने जानकारी देते हुए बताया कि बाबा धौलिया ने बरसों पहले मृत्यु भोज बंद करवा दिया था दहेज प्रथा भी बंद हो गई। गांव के सैकड़ों युवा हमेशा आश्रम की गौशाला में सेवारत हैं। इस कार्यक्रम में समाजसेवी रामसिंह यादव, अशोक कुमार, जयसिंह, सुरजभान, रामकुमार, भादरराम, विनोद कुमार, शीशराम, अमरसिंह सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष उपस्थित थे।