छोटी काशी के नाम से मशहूर है रतनगढ़, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान
महाराजा सूरतसिंह ने करवाया था इसका निर्माण,अपने बेटे रतनसिंह के नाम पर रखा था इसका नाम
कई स्वतंत्रता सेनानी व संत हुए इस मिट्टी में पैदा
रतनगढ़, [ सुभाष प्रजापत ] छोटी काशी के नाम से मशहूर रतनगढ़ शहर की स्थापना 1798 में हुई थी। इतिहासकारों के अनुसार बीकानेर के महाराजा सूरतसिंह ने अपने बेटे रतनसिंह के साथ चूरू से लौट रहे थे, तो उन्होंने कोलासर व राजियासर की ढाणियों को मिलाकर एक नए शहर की स्थापना की और उसका नाम रतनगढ़ रखा। विशाल किले का निर्माण शहर के मध्य में और किले में प्रवेश के लिए चार द्वारों का भी निर्माण करवाया गया था। शहर में छोटा किला भी बनाया गया था। लेकिन अब मूल किले और दूसरे किले में कुछ बर्बाद स्मारकों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है और अब न्यायालय एवं प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। रतनगढ़ प्रसिद्ध व्यापारियों, विद्वान लोगों, महान संतों, साहित्यकारों, कवियों, वैद्यों, कलाकारों और महान देशभक्तों का स्थान है। शिक्षा का केंद्र होने के कारण रतनगढ़ को दूसरी छोटी काशी भी कहा जाता है। रतनगढ़ में जन्में हनुमानप्रसाद पोद्दार एक अंतरराष्ट्रीय हस्ती हैं। जीवानानंद आनंद स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता थे। 1910 में महाराजा गंगासिंह के प्रयास से रेलवे स्टेशन और 1930 में बिजली का लाभ भी शहर के लोगों को मिला। दुर्गादत्त अनंतराम थर्ड द्वारा 1945 में वाटर वर्क्स का निर्माण करवाया गया और घरों में पानी की शुरुआत की गई। सूरजमल जालान, सीताराम भुवालका, नागरमल बाजोरिया और जेठमल धानुका ने शहर को वर्तमान स्वरूप में विकसित करने में मुख्य योगदान दिया था। इनके द्वारा सड़कों का जाल बिछाया गया, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक पुस्तकालय, पार्क सहित कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया गया था।