सीधे सवाल का नहीं देना जवाब, जानकारी का अभाव या मजबूरी
झुंझुनू, नई सरकार के अस्तित्व में आते ही प्रदेश की जनता में नई आश जगी थी, वहीं उसी के साथ एक युवा मंत्री को झुंझुनू का प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत के रूप में मिला तो लगा कि झुंझुनू के दिन अब बदलने वाले हैं लेकिन जब से झुंझुनू के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत बने हैं। वह सीधे सवालों का सीधा जवाब भी नहीं दे पाते जिसके चलते मन में बरबस ही ख्याल आता है कि हाय रे झुंझुनू में प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत की कैसी है यह मजबूरी ? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गत दिनों सरकार के 1 साल पूर्ण होने पर प्रेस वार्ता के दौरान प्रभारी मंत्री ने अपने स्तर पर सरकार की उपलब्धियां का खूब बखान तो किया लेकिन जब उनसे एक सीधा ही सवाल पूछा गया तो प्रभारी मंत्री उस सवाल का जवाब नहीं दे पाए। यहां तक कि उनको सवाल का जवाब नहीं देने पर दोबारा से कहा गया कि हमने आपसे सीधा सवाल पूछा है तो भी प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत का गोलमोल जवाब ही सामने आया। हो सकता है कि प्रभारी मंत्री को जानकारी का अभाव हो या फिर कोई मजबूरी हो जो सीधे सवाल का वह सीधा जवाब ही उनसे देते नहीं बन रहा था । आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उनसे सवाल किया गया था कि कांग्रेस सरकार में शांति एवं अहिंसा विभाग का गठन किया गया था और जिला स्तर पर उसके पदाधिकारी भी नियुक्त किए गए थे। वर्तमान में भाजपा सरकार ने क्या उनको भंग कर दिया है, यह सवाल जब प्रभारी मंत्री से पूछा गया तो पहले तो गांधी शब्द उनके कान में पड़ते ही उन्होंने कहा कि कौन से गांधी राहुल गांधी या सोनिया गांधी ? उनकी इस बात पर वही प्रेस वार्ता में उपस्थित दूसरे पत्रकार ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को आप ज्यादा याद कर रहे हो तो फिर उन्होंने संभलते हुए कहा महात्मा गांधी हमारे प्रेरणा पुरुष हैं जिस अहिंसात्मक तरीके से देश को उन्होंने आजादी दिलाई, देश उनको भूल नहीं सकता। इस प्रकार से उन्होंने महात्मा गांधी का महिमा मंडन करना तो शुरू कर दिया और फिर शांत हो गए लेकिन सीधे सवाल का जवाब नहीं आया।
जिसके चलते दोबारा उनसे पूछा गया कि आप जिस परिसर में बैठे हुए हैं उसके मुख्य द्वार पर बोर्ड लगा हुआ है गांधी शांति समिति भंग हो चुकी है या नहीं, मेरा सीधा सवाल आपसे यह है ? फिर उन्होंने कहा कि देखिए सरकार का निर्णय है महात्मा गांधी के नाम का सबसे बड़ा दुरुपयोग कांग्रेस ने किया है फिर से एक बार वह महात्मा गांधी के ऊपर प्रवचन देने की मुद्रा में तो आ गए लेकिन सीधे सवाल का जवाब उन्होंने सीधे नहीं दिया। यह वीडियो में भी आप देख सकते हैं। वहीं इस पूरे प्रकरण में संशय पैदा होता है कि सरकार के कैबिनेट मंत्री को ही इस मामले पर पूरी जानकारी नहीं है या फिर ऐसी कौनसी उनकी मजबूरी है जिसके चलते वह यह नहीं कह पा रहे हो कि सरकार ने इनको भंग कर दिया गया है क्योंकि आपको बता दें कि इसके बाद जब फतेहपुर से कांग्रेस विधायक हाकम अली ने झुंझुनू सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता की थी तब उनसे अनौपचारिक रूप से इस मामले पर बातचीत की गई तो उनका कहना था कि वर्तमान सरकार ने एक अध्यादेश लाकर इनको भंग कर दिया है लेकिन अब विडंबना देखिए की झुंझुनू के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत इस सीधे सवाल का जवाब आखिर क्यों नहीं देना चाहते हैं। वही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यदि अहिंसा विभाग के अंतर्गत जिला स्तर पर बनी हुई समितियां को भंग कर दिया गया तो फिर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के द्वारा नई सरकार अस्तित्व में आने के बाद सरकारी खर्चे पर इस बोर्ड को दोबारा से पेन्ट करके क्यों जीवन दान दिया गया? यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है कि क्या सूचना एवं जनसंपर्क विभाग महकमा राज्य सरकार के अध्यादेश और आदेशों से भी बड़ा हो गया है ? शेखावाटी लाइव ब्यूरो रिपोर्ट झुंझुनू