अतिक्रमण, परिसीमन मामले के साथ मदरसा शिक्षा सहयोगियों एवं धानका समाज ने सौंपा ज्ञापन
झुंझुनू जिला कलेक्टर रवि जैन को आज सोमवार को चार अलग-अलग मामलों में लोगों द्वारा ज्ञापन सौपे गए। पहले मामले में दीपलवास में तीन रोज पूर्व जमीन पर भू माफियाओं द्वारा किये गए अतिक्रमण के संबंध में पीड़ित भगवती देवी और उसके पुत्र नवीन ने ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि कोर्ट में विचाराधीन जमीन पर भू माफियाओं द्वारा कब्ज़ा करने का प्रयास शनिवार को किया गया था। वहा पर काम तो रुकवा दिया गया था लेकिन उस दिन के किये गए अतिक्रमण को हटाने की मांग तथा पीड़ित परिवार को मिल रही जान से मारने की धमकियों से सुरक्षा प्रदान करने की मांग भी जिला कलेक्टर से की गई है। पीड़िता भगवती देवी ने बताया कि गुढ़ा गौड़जी मुख्य सड़क पर दीपलवास में उनकी जमीन है जिस पर भूमाफियाओ ने कब्जा कर लिया है उनके द्वारा जिला कलेक्टर को गुहार लगाने पर मौके पर पटवारी ने जाकर काम को रुकवा दिया था लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाया गया। वहीं उन्होंने बताया कि उनके परिवार को जान से मारने की धमकियां भी मिल रही है। वहीं दूसरे मामले में ढाणी लक्ष्मण व भवानीपुरा को बड़बर ग्राम पंचायत में यथावत रखने के संबंध में ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि नई ग्राम पंचायत गादली में उनको जोड़ा जा रहा है जिससे उनकी गांव की दूरी भी अधिक है साथ ही आवागमन के साधन भी सुगमता से उपलब्ध नहीं है। तहसील व उपखंड कार्यालय भी बड़बर के ही नजदीक पड़ता है ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर परिसीमन में ढाणियों को ग्राम पंचायत गादली में जोड़ने के प्रयास का विरोध करते हुए बड़बर ग्राम पंचायत में ही यथावत रखने का आग्रह किया है। वहीं तीसरे मामले में आज जिला कलेक्ट्रेट के बाहर राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी जिला शाखा झुंझुनू ने धरना प्रदर्शन शुरू किया। जिलाध्यक्ष आरिफ ने जानकारी देते हुए बताया कि मदरसा शिक्षा सहयोगियों को नियमित करने की मांग के संबंध में गहलोत सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है इसके विरोध में संपूर्ण राजस्थान में आज मदरसे बंद करके सात दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं आज से शुरू किए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम के सम्बन्ध में अभी फैसला उन्होंने नहीं लिया है कि टीकाकरण करवाना है कि नहीं करवाना है। 28 तारीख तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो दिल्ली के लिए कूच करेंगे। वहीं चौथे मामले में धानका जाति उत्थान एवं शिक्षा समिति झुंझुनू के तत्वावधान में मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा पारित विधेयक के अनुसार धानका जाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किया गया है जिले के कई तहसीलदार, एसडीएम को मौखिक निर्देशित कर धानका जाति को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने हेतु बाध्य किया जा रहा है। ज्ञापन में बताया गया कि संपूर्ण शेखावाटी अंचल में धानका समाज निवास करता है तथा 80{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} से अधिक लोगों के पास जमीन नहीं है। ज्ञापन में विभिन्न प्रपत्रों के हवाले से बताया गया है कि धानका जाति को अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र हेतु जारी करने के लिए आदेशित किया गया है वहीं उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग की सूची में 12 जातियां शामिल है परंतु अक्सर देखा जाता है केवल मीणा जाति के लोग इसका सर्वाधिक लाभ ले रहे हैं। अतः मीणा जाति को क्रीमीलेयर में शामिल करने की मांग करते हुए अन्य जाति को अनुसूचित जनजाति का लाभ दिए जाने की मांग की गई है। वहीं ज्ञापन में चेतावनी भी दी गई है कि यदि शीघ्र ही इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो धानका जाति उग्र आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएगी।