झुंझुनू शहर के कई क्षेत्रों में भूख के मारे बिलख रहे हैं लोग
झुंझुनू, वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लोक डाउन प्रदेश में लगाया गया है। इसके साथ ही प्रदेश के मुखिया और देश के प्रधानमंत्री भी बार-बार यह कह रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति को भूखा नहीं सोना दिए जाएगा। बावजूद इसके झुंझुनू जिला प्रशासन अब तक अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित हुआ है। जिला प्रशासन को चंदे के लिए देने वाले भामाशाओं की संख्या में तो लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन कुछ वार्डों के दिहाड़ी मजदूरों की पेट की भूख भी इसके साथ दिनों दिन बढ़ती जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वार्ड नंबर 1,2, 5 और 60 में स्थिति काफी विकट होती जा रही है। इन वार्डों में भामाशाह भी अभी तक कम ही पहुंचे हैं और जिला प्रशासन की बात करें तो लगता है कि प्रशासन ने इस तरफ से आंखें मूंद ली हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन 4 वार्डों में कुल 6 कच्ची बस्तियां हैं जिनमें 450 परिवार रहते हैं। इसके अलावा इन 4 वार्डों में कुल 700 से अधिक दिहाड़ी मजदूरों के परिवार रहते हैं जिनके लिए स्थिति दिन-प्रतिदिन विकट होती जा रही है। अगर यही स्थिति रही तो लोग मजबूर होकर पलायन करेंगे या फिर भोजन की तलाश में अपने घरों से बाहर निकलेंगे ऐसी स्थिति में जब भूख का ज्वार शहर की सड़कों पर निकलेगा तो जिला प्रशासन के लिए भी इसको रोकना मुश्किल हो जाएगा। समाजसेवी दीपक रेवाड ने जानकारी देते हुए बताया कि इन वार्डों में निहायत ही गरीब तबके के लोग निवास करते हैं अभी तक पर्याप्त मात्रा में नए तो भामाशाहो की मदद इधर पहुंची है और प्रशासन की तरफ से भी इधर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हम 34 स्वयंसेवक इन क्षेत्रों में लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। जितना हम से हो रहा है हम कर रहे हैं लेकिन इतनी बड़ी संख्या होने के कारण से सभी लोगों तक मदद पहुंचाया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में जो हम 34 स्वयंसेवक लगे हुए हैं वह भी एक समय का ही भोजन करके लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं। वहीं जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से लेकर शहर की सरकार के कानों तक कई बार फोन की घंटियां घन घनाई जा चुकी है लेकिन लगता है कि प्रशासन गूंगा बहरा होकर सो चुका है।