लेखक – रवि कुमार तक्षक
सीकर, भारत पूरे विश्व में दूध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। भारत का कुल दुग्ध उत्पादन 187.75 मिलियन टन है। भारत में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपभोग 394 ग्राम प्रतिदिन है। राजस्थान में वर्ष 2019 का दुग्ध उत्पादन 13.7 मिलियन टन था। राजस्थान में दुग्ध उत्पादन हेतु भैंस पालन एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है।
राजस्थान की जलवायुवीय परिस्थितियों के अनुसार मुर्रा नस्ल की भैंस भैंस पालन हेतु सर्वाधिक उपयुक्त है। उत्तर भारत मे पशुपालकों के द्वारा मुर्रा नस्ल की भैंस मुख्य रूप से पाली जाती है मुर्रा भैंस सबसे अधिक उत्पादन देने वाली भैंस की नस्ल है मुर्रा नस्ल की भैंस के सींग मुड़े हुए होते हैं तथा इस प्रजाति की भैंसे अन्य प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध देती है तथा मुर्रा नस्ल की भैंस प्रतिदिन 15 से 20 लीटर दूध का उत्पादन करती है मुर्रा नस्ल की भैंस के दूध में फैट की मात्रा 7% से भी अधिक होती है इस वजह से मुर्रा भैंस के दूध के दाम अधिक मिलते हैं तथा मुर्रा नस्ल की भैंस सभी प्रकार की जलवायु में जीवित रहने मैं सक्षम होती है। मुर्रा नस्ल की भैंस पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के कुछ जिलों में पाई जाती है तथा इस भैंस की देखरेख काफी आसान होती है।
भैंस पालन हेतु ध्यान में रखने योग्य बातें
अधिक दुग्ध उत्पादन हेतु अच्छी नस्ल की भैंस के साथ साथ संतुलित पशु आहार अत्यंत आवश्यक है तथा भैंसों की चराई भी अच्छी होनी चाहिए अगर चराई अच्छी नहीं है तो दुग्ध उत्पादन पर बहूत प्रभाव पडता है।
10 लीटर दुग्ध उत्पादन क्षमता वाली भैंस हेतु प्रतिदिन लगभग 4 किलोग्राम दाने की आवश्कता होती है।
भूसा: गेंहू का भूसा लगभग 4 किलोग्राम पूरे दिन में
भूसा हरा: पूरे दिन में लगभग 15-20 किलोग्राम
हरा चारा: पूरे दिन में 20-25 किलोग्राम
100 किलोग्राम संतुलित आहार बनाने की विधि
दाना (गेंहू, बाजरा, जो, मक्का) : इनकी मात्रा लगभग 35% होनी चाहिए। चाहे बताए गए दाने को मिलाकर 35% हो या अकेला कोई भी एक प्रकार का दाना हो तो भी खुराक का 35% दे।
खली (सरसों की खल, बिनोला की खल, मूंगफली की खल, तिल की खल ) की मात्रा लगभग 32 किलोग्राम होनी चाहिए। इनमें से कोई एक खली को दाने में मिला सकते हैं।
चोकर (गेंहू का चोकर, चना की चुरी, दालो की चूरी, राइस ग्रेन) की मात्रा लगभग 35 किलोग्राम।
खनिज लवण की मात्रा लगभग 2 किलोग्राम नमक लगभग 1 किलोग्राम
इन सभी घटको की लिखित मात्रा के अनुसार मिलाकर अपने पशुओं को खिला सकते हैं।
भैंस हर साल बच्चा दे
अगर भैंस ने हर दो साल से बच्चा नही दिया तो भैंस पर आने वाला प्रतिदिन ख़र्च निकालना मुश्किल होता हैं। अगर भैंस बच्चा नहीं दे रही तो तुरंत चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए।
भैंस के लिए आरामदायक बाड़ा
भैंस पालन हेतु इस बात का ध्यान हमेशा रखना चाहिए कि भैंसों के लिए आरामदायक बाड़ा बनाया जाये। भैंसों हेतु बनाया गया बड़ा ऐसा होना चाहिए जो सर्दी, गर्मी और बरसात से भैंसों को बचा सके और साथ में हवादार भी हो। बाड़े में कच्चा फर्श हो तो ज्यादा बेहतर होता है तथा बड़ा फिसलने वाला नहीं होना चाहिए। बाड़े को सीलन से बचाना चाहिए और पशुओं के पीने के लिए साफ पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए। अगर पशु को पूर्णतया आराम मिलेगा तो दुग्ध उत्पादन भी उतना ही अच्छा होगा। भैंसों के बाड़े को मच्छर एवं मखियो से बचाने के लिए नियमित समय अंतराल पर स्प्रे करनी चाहिए। पशुओं को मच्छर से बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
रोग नियंत्रण
आपका पशु स्वस्थ नहीं होगा तो आप उससे अच्छा दूध उत्पादन भी नहीं कर सकेंगे। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी भैंसों को नियमित अंतराल पर पेट के कीड़े मारने की दवा दे। खुरपका-मुंहपका, गलघोटू का टीका समय पर लगवाना चाहिए। साथ ही भैंसों में होने वाला थनैला रोग के लक्षण को पहचाने और उनका इलाज कराये। भैसों को थनैला रोग से बचने के लिए दुग्ध दोहन के समय विशेष साफ सफाई रखे।
दुधारू पशुओं के लिए खास सलाह:-
रवि कुमार तक्षक ने पिछले दिनों आयोजित पशुपालक गोष्ठी की जानकारी दी जिसमे अंकित कुमार सैनी और अजय सिंह का भी अच्छा सहयोग रहा। उत्तरी भारत मे कड़ाके की ठंड पड़ रही है इसलिए सर्दी से बचाने के तमाम उपाय करें। “इम्युगार्लिक पावडर” देने से पशुओं की इम्युनिटी अच्छी विकसित होती है और सर्दियों में कम बीमार पड़ते हैं। दुधारू गाय भैंस को प्रतिदिन 100 मिली. “मिल्क गेनर एडी3 गोल्ड” देंवे। पशुओँ को संतुलित आहार देते रहे और सर्दियों में ऊर्जायुक्त आहार बढ़ा देवें। पशुओँ को मिनरल्स और विटामिन्स की पूर्ति करने के लिए “मिनप्लस ई चिलेटेड” देना लाभदायक रहता हैं। अधिक जानकारी के लिए वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क करें।